महज 28 साल की उम्र में ही बिहार विधान परिषद के लिए चुने गए जगजीवन राम
लेखक-अरविंद जयतिलक (वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार)
babu jagjivan ram jayanti 2024: बाबू जगजीवन राम छात्र जीवन से ही जुझारु प्रकृति के थे और देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। 1942 में जब गांधी जी ने‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का नारा दिया तो बाबू जगजीवन राम सेनापति की तरह अग्रिम पंक्ति में डट गए। सिविल नाफरमानी आंदोलन में भी वे अंग्रेजी सरकार की मुखालफत कर जेल जाना स्वीकार किया। मानवीय उदात्त भावनाओं से लबरेज बाबू जगजीवन राम की लोकप्रियता की धाक ही कही जाएगी कि वे महज 28 साल की उम्र में ही 1936 में बिहार विधान परिषद के लिए चुने गए।
babu jagjivan ram jayanti 2024: इसके बाद जब 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के तहत 1937 में चुनाव हुआ तो वे डिप्रेस्ड क्लास लीग के उम्मीदवार के तौर पर निर्विरोध चुने गए और साथ ही अपने राजनीतिक आभामंडल से 14 उम्मादवारों को भी निर्विरोध निर्वाचित कराने में सफल रहे।
babu jagjivan ram jayanti 2024: बिहार में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो वे मंत्री बनाए गए। बाबू जगजीवन राम की राजनीतिक स्वीकार्यता इतनी जबरदस्त थी कि अंतरिम सरकार में लार्ड वॉवेल की कैबिनेट में जब एक दर्जन लोगों को शामिल किया गया तो उनमें जगजीवन राम भी थे। उन्हें श्रम मंत्रालय का प्रभार दिया गया। श्रम मंत्री रहते हुए उन्होंने ढे़रों ऐसे मानवीय कानून बनाए जो आज भी प्रासंगिक हैं। मसलन उन्होंने मिनिमम वेजेज एक्ट, इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट और ट्रेड यूनियन बनाया जिसकी उपादेयता आज भी मजदूरों के हित के लिए सर्वाधिक सारगर्भित मानी जाती है।
babu jagjivan ram jayanti 2024 : 1952 में जब देश में प्रथम आम चुनाव हुआ और पंडित नेहरु की सरकार बनी तो जगजीवन बाबू संचार मंत्री बनाए गए। उन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए अपना जी-जान लगा दिया। उन्होंने निजी विमानन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया और गांव-गांव में डाकखानों की उपलब्धता सुनिश्चित की। उनकी योग्यता और कर्मठता से अभिभूत होकर पंडित नेहरु ने उन्हें रेल मंत्रालय का उत्तदायित्व भी सौंप दिया। रेल कर्मचारियों के प्रति उनका अगाध प्रेम जबरदस्त था। उन्होंने उनके हित में कई योजनाएं बनायी और उसका परिणाम भी बेहद सार्थक निकला।
babu jagjivan ram jayanti 2024: बाबू जगजीवन राम की दिलेरी कभी-कभी कौतुहल पैदा करती थी। सत्ता को मोह उनपर कभी हावी नहीं रहा। जब कामराज योजना आयी तो उन्होंने सत्ता सुख को ठोकर लगाकर एक कर्मयोगी की तरह संगठन पर ध्यान केंद्रीत किया।
babu jagjivan ram jayanti 2024: किंतु लालबहादूर शास्त्री के मृत्योपरांत जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी तो बाबू जगजीवन राम उनके लिए फिर प्रासंगिक हो गए। उन दिनों भारत संक्रमण के दौर से गुजर रहा था। आंतरिक और वाह्य दोनों मोर्चे पर भारत एक साथ जुझ रहा था। 1962 में चीन के हाथों करारी हार ने सेना का मनोबल तोड़ दिया था। भारतीय जनमानस भी उद्वेलित और विचलित था। 1965 में पाकिस्तान भी भारत को आंख दिखा चुका था। ऐसे में देश को अवसाद से उबारना जरुरी था। लेकिन देश में व्याप्त गरीबी और भूखमरी एक नयी चुनौती थी और वह संकट को लगातार बढ़ा रही थी।
babu jagjivan ram jayanti 2024: अन्न की कमी और सूखे की भयावहता मानवता को लील रही थी। देश अमेरिका से पीएल 480 के तहत सहायता में मिलने वाले गेहूं और ज्वार पर आश्रित था। किंतु वह भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा था। सबका पेट भरना कठिन था। उम्मीद की किरण तब जगी जब नाॅरमन बोरलाग भारत आकर हरित क्रांति का संचार किया। आधुनिक सोच के प्रबल पैरोकार बाबू जगजीवन राम तब कृषि मंत्री थे। उन्होंने डा0 नॉरमन बोरलाग के विचारों को सराहा और अपना शत-प्रतिशत राजनीतिक समर्थन दिया। ईमानदारी से किया गया प्रयास रंग लाया। महज तीन साल के अंदर ही खेतों में फसल लहलहाने लगी और अन्न उत्पादन के मामले में भारत अपने पैरों पर खड़ा होने लगा। दरिद्रता का पांव सिकुड़ने लगा। खुशहाली बढ़ने लगी। तत्काल ही भारत निराशा के गर्त से बाहर आ गया। इसका श्रेय बाबू जगजीवन राम को जाता है।
babu jagjivan ram jayanti 2024: 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में बाबू जगजीवन राम का योगदान अविस्मरणीय है। जिस तरह उन्होंने सेनाओं के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाया वह उनकी राष्ट्रभक्ति की अटूट बानगी है। बाबू जगजीवन राम की दलीय प्रतिबद्धता और राजनीतिक विश्वसनीयता कमाल की थी। जब इंदिरा गांधी अपने राजनीतिक जीवन के जटिल दौर से गुजर रही थी उस दरम्यान बाबू जगजीवन राम उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे। हिमालय की तरह अडिग विचार और सागर की तरह गहरी संवेदना रखने वाले इस मनीषी की पुण्यतिथि पर भला उन्हें कौन याद करना नहीं चाहेगा।
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