कनाडा के मशहूर अखबार ‘टोरंटो सन’ के राजनीतिक स्तंभकार लोर्ने गुंटर ने एक लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि ट्रूडो भारत के प्रधान मंत्री मोदी संग एक छोटे भाई की तरह बर्ताव कर रहे थे, जैसे कि मोदी किसी छोटे देश के नेता हों।
Canada PM JJustin Trudeau Fun in Media: जी20 समाप्त हो चुका है, बावजूद इसके कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। ट्रूडो पहले तो जी20 शिखर सम्मेलन में अलग थलग पडे रहे। फिर, शिखर सम्मेलन में ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उन्हें पाठ पढाया। और तो और जब स्वदेश जाने लगे तो विमान ही खराब हो गया। जिसके कारण करीब ढाई दिनों तक ट्रूडो नई दिल्ली में बिना किसी काम के यूं ही रहे। कहा तो यह भी गया कि भारत ने उन्हें विमान की पेशकश की थी, जिसे कनाडाई प्रधानमंत्री ने ठुकरा दिया।
इस बीच तीसरे दिन तक जब तक कनाडा से दूसरा विमान आया, तब तक उनका पहला विमान ठीक हो गया। तब कहीं जाकर उन्होंने नई दिल्ली से कनाडा के लिए उड़ान भरी। इस दरम्यान भारत से लेकर कनाडा तक ट्रूडो की जमकर फजीहत हुई। दरअसल, जब ट्रूडो जी20 शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे तो कनाडा के कई शहरों में खालिस्तानी समर्थक भारत के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे, विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जबकि ट्रूडो की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, उसने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब से ट्रूडो ने सत्ता संभाली है तब से ऐसा कई दफा घटित हो चुका है। जबकि भारत लगातार नाराजगी जताता आया है।
इन परिस्थितियों में कनाडाई पीएम जब स्वदेश पहुंचे तो वहां की मीडिया ने आडे हाथों लिया। खूब जमकर खरीखोटी सुनाई। ट्रूडो को विदेश मोर्चे पर विफल तक करार दे दिया। कनाडा के मशहूर अखबार ‘टोरंटो सन’ के राजनीतिक स्तंभकार लोर्ने गुंटर ने तो ट्रूडो पर भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी संग छोटे भाई की तरह व्यवहार करने की बात कह डाली।
गुंटर ने लिखा है कि मोदी 140 करोड़ आबादी वाले देश के पीएम हैं वहीं ट्रूडो 4 करोड़ से भी कम आबादी वाले देश के पीएम हैं। ऐसा लगता है कि ट्रूडो यह भी भूल गए कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। जिसकी जीडीपी 3.176 ट्रिलियन यूएस अमेरिकी डालर है जबकि कनाडा की जीडीपी सिर्फ 1.988 ट्रिलियन USD वाली इकॉनोमी है।
इतना ही नहीं, उन्होंने एक छोटे से द्वीपीय देश कोमोरोस के राष्ट्रपति अजाली ओसुमानी का भी जिक्र किया। कहा कि, ट्रूडो से ज्यादा प्रभावशाली तो ओसुमानी दिखे, जो केवल आठ लाख की आबादी वाले तीन द्वीप समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बावजूद इसके पीएम मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और ट्रूडो से अधिक देर तक वैश्विक मंच पर उनसे बात की।
गुंटर ने कहा कि ट्रूडो जब कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे, तब वह स्थानीय निवासियों से खुले तरीके से मिलते थे। उस समय ऐसा लग रहा था कि वो बदलाव लाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। विदेश नीति के मोर्चे पर ट्रूडो बुरी तरह विफल रहे हैं। वो अपने कार्यकाल में दो बार भारत की यात्रा किए लेकिन दोनों ही बार विफल रहे।
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