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दिल्ली में शादी-ब्याह में महिलाएं गाती हैं ये ‘गारी गीत’

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शादी-ब्याह के मौके पर दिल्ली में भी गारी गीतों का रिवाज था, जिन्हें लोकगीतों से अलग नहीं किया जा सकता। इन गालियों में अश्लील...

चौसर खेल का इतिहास, दिल्लीवाले क्यों पसंद करते थे इसे

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चौसर या चौपड़ एक प्राचीन हिन्दुस्तानी खेल है। इसे पच्चीसी भी कहा जाता है। इसके खालिस हिन्दुस्तानी खेल होने में किसी को संदेह नहीं...

मुस्लिम काल की दिल्ली (पठान काल) : लाल महल किले का इतिहास

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कुश्के लाल अथवा किला मर्गजन अथवा दारुल अमन लाल महल (कुश्क लाल) को गयासुद्दीन बलबन ने 1255 ई. में बनवाया। इस महल के इतिहास...

दिल्ली के लोकगीतों का इतिहास

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प्राचीन दिल्ली के आस-पास भी देहात थे और आज भी हैं। जहां शहर की फसील से बाहर कदम रखा, देहात का सिलसिला शुरू हो...

गंधक की बावली और राजा की बावली का इतिहास

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महरौली और उसके आसपास बहुत बावलियाँ थीं। उस इलाक़े में आसपास छोटी-छोटी पहाड़ियाँ और पथरीले टीले थे और कई जगहों पर उनके बीच पथरीली...

Qawwal Bacchon gharana: जब बादशाह के सामने गूंगे सावंत, बहरे बूला ने सुनाई कव्वाली

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कहानी भारत के पहले कव्वाल घराने कव्वालबच्चे की हिन्दुस्तानी संगीत में ग्वालियर घराना सबसे ज़्यादा अहम और पुराना समझा जाता है, मगर उससे पहले भी...

इस तरह जवान बने रहते थे राजा महाराजा, ये खाते थे

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हकीम अजमल खां...मरीज को देखकर ही इलाज बता देते थे हकीम अजमल खां की गिनती दिल्ली के श्रेष्ठ हकीमों में हमेशा रहेगी। उनकी याद अभी...

चांदनी चौक में कभी चलते थे ट्रॉम,History of Transport in Old Delhi

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-पुरानी दिल्ली में परिवहन का इतिहास चांदनी चौक की संकरी गलियां..जहां दिल्ली बसती है। वही दिल्ली जो बेफिक्र है, बेलौस है और अपने अंदाज में...

दिल्ली की दो सुखन और बेहतरीन मुकरियां, इनका जवाब पता है क्या आपको

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हमसे वाट्सएप से जुड़िए https://whatsapp.com/channel/0029VaNLx3XCRs1fvrDml50o दो-सुखने दिल्ली में पहेलियों के अलावा 'दो-सुखने' कहने का रिवाज भी था। दो सुखने, जैसा कि नाम से जाहिर है, दो बातों...

दिल्ली की बारिश में बहुत याद आती हैं चांदनी चौक की आलू-बेड़मी पूरी, गर्मागर्म...

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शहर की बारिशें और चौक चौराहों से आती तली भुनी जायकों की खुशबू। ठंढी बरसात की फुहारों में पुरानी यादों के बीच नागौरी हलवे,...

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