लेखक-संजीव कुमार मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार
देश के कुल 780 जिलों में से आधे से अधिक मादक पदार्थों की तस्करी की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit shah) ने ड्रग्स की तस्करी के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में लोकसभा में बताया कि देश के 472 जिलों में नशे का कारोबार फैल चुका है। जिलों की यह संख्या माथे पर चिंता की लकीरें खींचने वाली है। चंद दिनों पूर्व ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मादक पदार्थों की तस्करी को लेकर चेताया था। उन्होंने कहा था कि अब तस्करी में शामिल बडी मछलियों को पकडना होगा। यह पता लगाना जरूरी है कि देश में अवैध ड्रग्स का पहाड कौन भेज रहा है। drug trafficking in india
वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में पूरी दुनिया में 15 से 64 आयुवर्ग की कुल आबादी का 269 मिलियन यानी 5.9 प्रतिशत आबादी नशे की गिरफ्त में थी। भारत किस तरह मादक पदार्थों की तस्करी के मकडजाल में उलझता जा रहा है और इसकी एक बानगी यूएन की रिपोर्ट से होती है। रिपोर्ट की मानें तो भारत में 2009 के मुकाबले 2018 तक नारकोटिक्स ड्रग्स के उपयोग में 30 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई। भारत में मादक पदार्थ किन देशों से आता है, इसे जानने की जरूरत है। गोल्डन ट्रायंगल के जाल में देश का युवा धीरे धीरे फंसता जा रहा है। दरअसल, देश की सीमा के पास दो गोल्डन ट्रांयगल बनता है। गोल्डन ट्रायंगल में म्यांमार, थाईलैंड और लाओस और ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान शामिल है। ये देश सर्वाधिक अफीम उत्पादक देशों में शामिल हैं। इस वजह से भारत के साथ लगती इनकी सीमा वाले इलाके संवेदनशील हो जाते हैं। भारत-पाकिस्तान बार्डर नशे की तस्करी के लिए सबसे संवेदनशील है। बार्डर के रास्ते हेराइन, चरस की तस्करी होती है। अफगानिस्तान से बडी मात्रा में हेरोइन की तस्करी भारत के पश्चिमी हिस्सों राज्यों में होती है। जबकि म्यांमार से भारत के पूर्वी इलाके में नशे की खेप पहुंचाई जाती है। अफगानिस्तान के मादक द्रव्य पदार्थ की गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर समेत पंजाब तक तस्करी होती है। अधिकतर नशे की तस्करी बार्डर एरिया से होती है लेकिन हाल के वर्षों में समुद्री मार्ग का उपयोग भी बढा है। कुछ समय पहले ही गुजरात के मुंद्रा तट पर 3000 किलो ड्रग्स जब्त की गई। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इसपर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि 2022 के नवंबर महीने तक देश में कुल 3017 किलोग्राम हेराइन जब्त की गई थी। इसका 55 प्रतिशत, करीब 1664 किलोग्राम हेराइन समुद्री मार्ग से ले आयी गई थी।
नशे की तस्करी से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में पंजाब शामिल है। पंजाब के मालवा, माझा और दोआबा रीजन से मादक पदार्थ का मकडजाल पूरे प्रदेश को जकड रहा है। पंजाब में 15 से 25 आयु वर्ग के लगभग 40 प्रतिशत युवा नशे की गिरफ्त में हैं। मजदूर और किसानों में नशे की लत का बढना चिंताजनक है। पंजाब में ही सबसे अधिक हेराइन जब्त की गई।
पश्चिमी भारत के राज्यों से इतर पूर्वी और उत्तरी पूर्वी भारत के राज्य गोल्डन ट्रायंगल के देशों के चलते नशे से जूझ रहे हैं। नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार से होने वाले नशे की तस्करी से मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, पं बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार तक प्रभावित हैं।
केंद्र सरकार ने मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए कई कारगर कदम उठाए हैं। बार्डर सिक्योरिटी फोर्स, सशस्त्र सीमा बल, रेलवे प्रोटक्शन फोर्स, असम राइफल्स आदि एजेंसियों को नशीले पदार्थ की तस्करी को रोकने के लिए बकायदा ट्रेनिंग दी गई है। श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत अन्य देशों के साथ समय समय पर उच्च स्तरीय बैठक भी होती है। केंद्रीय और राज्य की जांच एजेंसियों में तालमेल का ही नतीजा है कि हाल के वर्षों में नशीले पदार्थों की जब्ती बढी है। 2021 में ही 55 हजार किलो गांजा, 1 हजार किलो से अधिक हेरोइन जब्त की गई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा में बताया कि 2006 से 2013 के बीच 22.41 लाख किलो मादक पदार्थ पकडा गया था। वहीं 2014 से 2022 के बीच 62.60 लाख किलो मादक पदार्थ सुरक्षा एजेंसियों ने जब्त किया। सरकार नशे के सौदागरों को सलाखों के पीछे धकलेगी। नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए जांच एजेंसियों को एकसाथ प्रहार करना होगा ताकि नशे के सौदागर जेल तक पहुंचे।