ABVP के मिशन स्वाभिमान ने खोली केंद्रीय विश्वविद्यालयों की पोल
दिल्ली में तीन दिन लगातार बारिश हुई तो जेएनयू की छतों से पानी टपकने लगा। छात्रावास के कमरों में सीलन की वजह से छात्रों के कपड़े खराब हो गए। किताबें पानी में भींग गई, किसी तरह छात्रों ने इन्हें बचाया। छात्रावास के अंदर पानी से बचने के लिए किसी छात्र ने छाते का प्रयोग किया तो किसी ने बॉल्टी, जग का। लेकिन यह तो महज एक बानगी भर है। दिल्ली के केंद्रीय विश्वविद्यालयों का हाल तो इससे भी बुरा है।
ABVP ने मिशन स्वाभिमान के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi university), जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (jawaharlal nehru university) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया (jamia millia islamia) में छात्राओं का हाल जाना। 20 और 21 सितंबर को फिजिकल सर्वे किया गया। इन विश्वविद्यालयों के प्रत्येक विभाग, कालेज में छात्राओं की राय जानी गई।
मिशन स्वाभिमान में सक्रिय भूमिका निभाने वाली स्टूडेंट फॉर सेवा की प्रांत छात्रा प्रमुख प्रिया शर्मा ने बताया कि डीयू केे 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं। हमारी कोशिश थी कि डीयू समेत अन्य दो केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं पर छात्राओं की राय जानी जाए। ताकि विश्वविद्यालय प्रशासन को बताया जा सकेे।
ये पता चला
सेक्सुअल हरासमेंट के मामलों की शिकायत के लिए कालेजों में इंटरनल कंपलेंट कमेटी है या नहीं? यदि कमेटी है तो क्या प्रापर काम करती है। वुमेन डेवलपमेंट सेल के बारें में छात्राएं कितनी जागरूक है? इन सब मुद्दोंं पर भी छात्राओं से बातचीत की गई थी। सर्वे में छात्राओं ने बताया कि क्लासरूम में प्रापर सीटिंग अरेंजमेंट नहीं हैं। वॉशरुम में टैब काम नहीं करते हैं। ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं हैं, जिस कारण कालेजों केे टॉयलेट खराब हालत में हैं। कई जगह तो वॉशरुम के गेट में लॉक नहीं होने की भी छात्राओं ने शिकायत की। कहा कि इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन भी कई जगह काम नही कर रही हैं। 200 रुपये में नैपकिन बेचा जा रहा है।