जल क्षेत्र में गोवा के उपलब्धियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही चर्चा

लेखक-संजीव कुमार मिश्र

goa news: ऐसे समय में जब भारत की अर्थव्यवस्था कुलांचे मार रही है। पूरी दुनिया भारत को आर्थिक महाशक्ति के तौर पर स्वीकार रही है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। 2047 तक विकसित भारत का सपना 140 करोड़ भारतवासियों की आंखों में पल रहा है। उस दौर में भी विकास के नित नए कीर्तिमान रचते भारत में जल संकट एक कड़वी सच्चाई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

goa news: हम सभी इस तथ्य से भलीभांति अवगत है कि भारत में पीने के पानी के स्रोत सीमित हैं। एक राष्ट्र के रूप में जैसे-जैसे देश प्रगति कर रहा है, विकसित देशों की श्रेणी में शामिल होने के करीब पहुंच रहा है, जल संकट दिनोंदिन गंभीर होता जा रहा है। जनसंख्या में तेजी से हो रही वृद्धि, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की बढ़ती मांग और जलवायु परिवर्तन जल संसाधनों के उपलब्ध स्रोतों को प्रभावित कर रहे हैं।

देश में जिस तेजी से भूजल का दोहन हो रहा है, उससे वर्ष 2025 तक औसत प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1341 क्यूबिक मीटर और वर्ष 2050 तक तो यह कम होकर 1140 क्यूबिक मीटर ही रह जाने की आशंका जताई जा रही है। देश के कई राज्य तो अभी से ही स्वच्छ पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। अंधाधुंध भूजल दोहन अब गले की हड्डी बन चुका है।

2030 तक बढ़ती आबादी के कारण देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी। तब लाखों लोग पानी की समस्या से जूझेंगे। यह कटु सत्य है कि पूर्ववर्ती सरकारों में जल संकट से निपटने के प्रति दूरदर्शिता का अभाव दिखा। यदि ऐसा नहीं होता तो 2019 तक देश के 19 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में केवल 3.23 करोड़ घरों तक ही नल का कनेक्शन नहीं होता।

goa news: भारत के आईटी हब बंगलुरू के हालिया संदर्भ में जल संकट की समस्या और प्रासंगिक हो जाती है। बंगलुरू में पानी का एक टैंकर जो 500 रुपये में बिकता था वो 2000 रुपये में बिक रहा है। कालोनियों से लेकर नामी गिरामी सोसायटी तक में पानी के लिए लंबी लाइन लग रही हैं। ये लाइनें चिंता की लकीरें बढ़ाने वाली हैं लेकिन ठीक इसी समय गोवा,हरियाणा, दादर एवं नागर हवेली समेत कई अन्य राज्यों द्वारा जल क्षेत्र में हासिल उपलब्धियां भविष्य के प्रति आश्वस्ति हैं।

जल संकट से निपटने के लिए, प्रत्येक ग्रामीण घर तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को इंगित करना अनिवार्य है। जल संकट से निपटने और जल संरक्षण की अलख जगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 2019 में पहली बार अलग जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया।

मंत्रालय ने जल जीवन मिशन के जरिए 2024 तक ग्रामीण भारत के प्रत्येक घर को नल से स्वच्छ जल मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताई है। जल जीवन मिशन के तहत गोवा की उपलब्धियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है। गोवा वैश्विक स्तर पर भारत की प्रगति का मानक बन गया है। यह देश का पहला राज्य है जिसने शत प्रतिशत ग्रामीण घरों तक नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित की। गोवा ने 2.30 लाख ग्रामीण परिवारों को अब शुद्ध जल की आपूर्ति हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 के दिन लाल किले की प्राचीर से मिशन का शंखनाद किया। इसका उद्देश्य गुणवत्ता और पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी घर-घर पहुंचाना था। इसमें कोई संदेह नहीं कि गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने प्रधानमंत्री के विजन को ना केवल पूरा किया बल्कि ईमानदारी के साथ योजना को जमीनी स्तर पर लागू किया। उत्तरी गोवा के 1.65 लाख घर, साउथ गोवा के 98 हजार घरों में आज शुद्ध जल की आपूर्ति हो रही है।

गोवा की यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 15 अगस्त 2019 तक गोवा में नल कनेक्शन केवल 24 प्रतिशत था। कोरोना महामारी के बावजूद गोवा ने ग्रामीण इलाकों में शत प्रतिशत नल कनेक्शन प्रदान किया। आज गोवा के सभी स्कूल, आंगनबाड़ी, सार्वजनिक संस्थान इमारतें, स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र, आश्रमशालाओं समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में नल कनेक्शन लग चुका है।

गोवा की इस उपलब्धि (goa news) से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की भावना भी सुदृढ़ हुई है। गोवा के सभी गांवों में ग्राम जल और स्वच्छता या पानी समितियों का गठन किया गया। इन समितियों को गांवों में जल आपूर्ति के बुनियादे ढांचे के निर्माण, रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी दी गई। इन समितियों में आधी आबादी का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। यही नहीं प्रत्येक गांवों में पांच महिलाओं को जल परीक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया।

गोवा में जल क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी सुधारों (goa news) का सकारात्मक असर अन्य सेक्टरों पर भी पड़ा है। कभी गोवा सब्जियों, फलों के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र पर निर्भर रहता था। आज गोवा ना केवल घरेलू मांग की पूर्ति कर रहा है बल्कि पड़ोसी राज्यों को निर्यात भी करने लगा है। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की दूरगामी नीतियों का असर है कि इसी साल फरवरी तक गोवा ने 2 लाख 97 हजार 931 किलो सब्जियां निर्यात की। पिछले साल यह मात्रा 20,709 किलो थी। आज गोवा में ऐसे आउटलेट की संख्या 950 तक पहुंच चुकी है जहां से लोग आसानी से सब्जी खरीद सकते हैं।

मुख्यमंत्री सावंत के नेतृत्व में गोवा केवल जल क्षेत्र में ही नहीं अपितु अन्य सेक्टरों में भी विकास की नई इबारत लिख रहा है। गोवा शत प्रतिशत घरों तक बिजली आपूर्ति करने वाला देश का पहला राज्य है। इतना ही नहीं, यह पहला राज्य है कि जहां प्रत्येक गांव में सड़कें हैं। केंद्र सरकार की योजनाएं लागू करने के मामले में भी गोवा बाकियों के लिए बेहतरीन उदाहरण है। गोवा में उज्ज्वला योजना सौ प्रतिशत लागू है। यह किरोसीन फ्री स्टेट है। शत प्रतिशत शौचालय निर्माण वाला देश का पहला प्रदेश है। अगर गिनाने लगे तो ऐसी योजनाओं की संख्या करीब 13 हैं जिनमें गोवा बाकी प्रदेशों के मुकाबले शीर्ष पर है। इसके लिए श्रेय देना होगा मुख्यमंत्री डॉ. सावंत को कि वे यह सब उपलब्धियां बिना किसी शोर-शराबे के धीर और प्रशांत चित्त के साथ हासिल कर रहे हैं। उनका संकल्प और उनकी प्रतिबद्धता गोवा के विकास का ऐसा आख्यान साबित होने जा रहा है, जिसका मूल्यांकन महज राजनीतिक आधार पर नहीं किया जा सकता।

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