गृहमंत्री जीबी पंत अक्सर कहीं किसी से मिलनेे या वैसे भी पहुंचने में लेेट हो जाते थे। वो कोशिश तो पूरी करते थे कि लेेट ना हो लेकिन ऐसा हो नहीं पाता था। इसके लिए उन्होने अपनी घड़ी को आधा घंटा आगे करके रखा हुआ था। लेकिन फिर भी यह कमजोरी जा नहीं पा रही थी। एक बार उन्हें एक कैबिनेट मीटिंग में जाना था और उनका ड्राइवर मौजूद नहीं था।
उन्होंने जनसंपर्क अधिकारी कुलदीप नैयर को तत्काल फोन कर बुलाया। कहा-पार्लियामेंट हाउस छोड़ दो। जहां यह मीटिंग चल रही थी। मेरी छोटी कार उतनी तेज नहीं दौड़ पा रही थी जितना वे चाहते थे। वे खीजते हुए बोले, “तुम्हारी कार में इंजिन नहीं है क्या? और तुम इतने घबराए हुए क्यों हो? कुलदीप को समझ नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें? क्याें कि कार तो अपनी स्पीड में ही चल रही थी, जल्दी तो उन्हें हो रही थी। खैर वो पहुंच गए।
कुलदीप नैयर लिखते हैं कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने पन्त के देर से पहुंचने के कारण एक बार अपनी नाराजगी भी दिखाई थी। उन्होंने उनसे अगले दिन उसी समय आने के लिए कहा था। लेकिन इस कमजोरी का जिक्र करते समय हमें पन्त के एक शारीरिक दोष को भी ध्यान में रखना होगा।
एक पुरानी चोट के कारण वे पिछले कई वर्षों से अपनी पीठ ज्यादा देर तक सीधी नहीं रख पाते थे। यह चोट उन्हें उस समय लगी थी जब साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने बेरहमी से उनकी पिटाई की थी। तभी से वे ठीक से नहीं चल पाते थे और उनके हाथ हर समय कांपते रहते थे। उन्हें संसद को सम्बोधित करते समय भी बैठे रहने की विशेष अनुमति प्राप्त थी।