अल्तमश के मकबरे के पास स्थित है अलाउद्दीन द्वारा निर्मित अधूरी लाट

अधूरी लाट (1311 ई.)

यह कुतुब मीनार से कोई पाव मील है। इसे भी अलाउद्दीन ने 1311 ई. में बनवाया था। यह अल्तमश के मकबरे के उत्तर में है। इसके बारे में अमीर खुसरो ने लिखा है- ‘अलाउद्दीन ने एक दूसरी मीनार जामा मस्जिद (मस्जिद कुव्वतुल इस्लाम) के जोड़े की बनवानी चाही, जो उस वक्त सबसे मशहूर मीनार थी और मंशा यह थी कि मीनार इतनी बुलंद हो, जिसे अधिक ऊंचा न किया जा सके।

बादशाह ने हुक्म दिया था कि इस मीनार का घेरा कुतुब मीनार से दुगुना हो और उसी के अनुसार वह ऊंची भी की जाए। मगर बादशाह की इच्छा पूरी होने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। मीनार को देखने से प्रतीत होता है कि वह बनते-बनते रह गई। जितनी बनी है, वह एक ढांचा है- उस बड़ी मीनार का, जो बनने वाली थी। इसके पाए में 32 कोण हैं और हर कोण आठ फुट का है। यह सारा खारे के पत्थर का बना हुआ है।

इसका चबूतरा 22 मुरब्बा फुट और 4 फुट से कुछ अधिक ऊंचा है। कनिंघम साहब इसका घेरा 257 फुट बतलाते हैं। दूसरों ने उसे 254 फुट और 252 फुट भी बतलाया है। बाहर की दीवार का आसार 19 फुट है और कुल मीनार कुर्सी समेत 40 फुट है। इसकी तामीर 1311 ई. में शुरू हुई, लेकिन खिलजी की मृत्यु के साथ ही इसका बनना बंद हो गया।

मकबरा अलाउद्दीन

अलाउद्दीन की मृत्यु, जैसा कि ऊपर बताया गया है, 1316 ई. में हुई। उसका जनाजा सुबह के वक्त सीरी के लाल महल से निकालकर कुतुब के पास मस्जिद कुव्वतुलइस्लाम के सामने एक मकबरे में दफन किया गया। मगर कुछ एक का कहना है कि बादशाह को उसके कम्रे हजार सुतून में दफन किया गया।

मगर यह सही नहीं मालूम होता, क्योंकि जिन इमारतों को फीरोज शाह तुगलक ने दुरुस्त करवाया, उनमें यह मकबरा भी शामिल है। मरम्मत के अलावा चंदन के किवाड़ों की जोड़ी चढ़वाने का भी जिक्र है। अलाउद्दीन को कब्र मस्जिद के सहन के दक्षिणी भाग में है। गुंबद का अहाता चार सौ फुट लंबा और दो सौ फुट चौड़ा है, जिसके अहाते की पश्चिमी और दक्षिणी दीवारें अलाउद्दीन के बाद शहाबुद्दीन के समय की बनी हुई हैं। मकबरा, जहां तक पता लगता है, उन तीन वीरान दलानों के बीच वाले दालान में था, जो मस्जिद के दक्षिण में पड़ते हैं। इस मकबरे की मौजूदा हालत यह है कि कुतुव लाट के पश्चिम में एक चारदीवारी खड़ी है, जिसके तीन तरफ की एक-एक दरवाजा है। यह मकबरा अंदर से 23 मुरब्बा फुट है और बीच में एक खाली चबूतरा 2 फुट ऊंचा और 13 फुट × 4 फुट का बना हुआ है। शायद कब्र इसी पर होगी। प्लास्टर बाकी नहीं रहा। बस खारे के पत्थर की दीवारें खड़ी हैं। गुबंद तो कभी का गिर चुका है। अंदर के फर्श पर बजरी बिछी हुई है। यह कहना भी कठिन है कि यह मकबरा था।

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