अधिकारी ने कहा कि अगर ऊपर से दबाव ना हो तो कोई आफिसर ना करे गलत काम
- -गृह सचिव ने नेहरू पर कसा तंज, कहा-वो हवा हवाई बातें करते हैं
गृहमंत्री जीबी पंत नौकरशाही पर बहुत ज्यादा भरोसा करते थे, लेकिन नेहरू इसे कोई खास महत्त्व नहीं देते थे। एक बार नेहरू ने पन्त को लिखा था-“हम एक ढर्रे में बंध गए हैं और उन पुरानी परम्पराओं को निभाए जा रहे हैं जिनका आज कोई मतलब नहीं है। अगर हमें एक कल्याणकारी राज्य के रूप में काम करना है तो हमारी पूरी प्रशासनिक सेवा को बिलकुल अलग तरह से काम करना होगा, बल्कि अलग तरह से सोचना भी होगा…..नेहरू ने लिखा था कि वे ‘जल्दी’ ही प्रशासनिक ढांचे में बदलाव देखना चाहते थे। पन्त ने यह नोट गृह सचिव बी. एन. झा को थमा दिया, जिन्होंने ‘जल्दी’ शब्द के बावजूद इसे फाइल के हवाले कर दिया।
राजनीतिज्ञों के बारे में झा की अच्छी राय नहीं थी। उनका कहना था कि उन्हें प्रशासन का क-ख-ग नौकरशाही से सीखना पड़ता था, और इसके बाद वे इस तरह व्यवहार करते थे मानो वे सब कुछ जानते हों। झा ने मुझे लाल बहादुर शास्त्री का उदाहरण दिया, जिन्हें उन्होंने ही ट्रेनिंग दी थी। पन्त ने प्रशासन में भ्रष्टाचार का रोग फैलते देखा तो उन्होंने सरकार के सभी सचिवों के साथ एक गुप्त बैठक की। सभी बड़े अफसर मामले की नजाकत को समझते हुए पूरी तैयारी करके आए। पन्त ने उनके अच्छे काम की तारीफ करते हुए कहा कि बड़े अफसोस की बात थी कि लोग उनकी ईमानदारी पर सवाल करने लगे थे। “हम यह सब चुपचाप बैठकर नहीं देख सकते।” उन्होंने कहा।
उनके कठोर शब्दों से कमरे में एक सन्नाटा सा छा गया। कुछ देर की खामोशी के बाद एक वरिष्ठ आई.सी.एस. अधिकारी एच. के. पटेल, जो बाद में केन्द्रीय मंत्री भी बने, ने अपनी सीट से उठकर कहा कि अगर ऊपर से दबाव न हो तो कोई भी अधिकारी कोई गलत काम नहीं करेगा। हो सकता था कि कुछ अधिकारियों में ईमानदारी की कमी हो, लेकिन वे मंत्रियों के बारे में क्या कहेंगे? बुराई ऊपर से शुरू होती थी।
मैं देख रहा था कि पन्त गुस्से से लाल-पीले हो रहे थे, लेकिन जब तीन और अधिकारियों ने भी उठकर यही बात कही तो वे अपने गुस्से को पी गए। उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों के बीच सहयोग की बात कहकर मीटिंग खत्म कर दी। उन्होंने कहा कि ये दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिए थे और दोनों को मिल-जुलकर बोझ उठाना था। इन शब्दों के साथ उन्होंने मीटिंग को रफा-दफा कर दिया। बाद में किसी ने भी इस मीटिंग या भ्रष्टाचार का जिक्र तक नहीं किया। प्रेस को इस मीटिंग की भनक तक नहीं लगी।