योगी के मंत्री का दावा- मार्च 2023 के बाद समाप्त हो जाएगी यूपी में आवारा पशुओं की समस्या
आवारा पशुओं (Stray Cattles) की समस्या कोई नई नहीं है। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि हाल के वर्षों में यह समस्या विकराल हो गई। मीडिया रिपोर्ट भी यही कहती है कि 2017 में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई तो गोवंश को लेकर कई निर्णय लिए गए। कहा जाता है कि इन फैसलों का दूरगामी परिणाम पड़ा। परिस्थितियां ऐसी बनी कि दूध ना देने वाले और अन्य गोवंशों को सड़कों पर छोड़ा जाने लगा। जिसके चलते उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही गई। यूपी का शायद ही कोई जिला छुट्टा पशुओं से प्रभावित ना हो। अब तो पशुओं के हिंसक होने की खबरें भी आने लगी हैं। मेरठ में सांड़ के हमले में एक युवक को जान गंवानी पड़ी। आवारा पशुओं के मुद्दे पर विपक्ष लगातार योगी सरकार (Yogi Govt in UP) पर हमलावर रहता है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यूपी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद किसान बेहाल है। आवारा पशुओं के हमले लगातार किसानों और आम जनता की जान ले रहे हैं। पशु फसल रौंदकर किसानों की कमर तोड़ दे रहे हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में संपन्न हुए। चुनावों में आवारा पशु या निराश्रित पशुओं की समस्या एक अहम मुद्दा थी। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) को चुनावी रैलियों में इस समस्या के जल्द से जल्द समाधान का आश्वासन देना पड़ा था। बुलंदशहर, कानपुर देहात, बिजनौर, देवरिया, मथुरा आदि शहरों में सड़कों पर आवारा पशु दिख ही जाते हैं। इन जगहों पर लोगों को रातों में पहरा देना पड़ रहा है। कई जगह तो टोलियां बनाकर पहरेदारी की जा रही है। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित सरकार ने कई अहम फैसले लिए भी। योगी के पहले व दूसरे कार्यकाल में राज्य में 6626 गो आश्रय केंद्रों का निर्माण किया गया। स्थानीय प्रशासन आवारा पशुओं को पकड़कर इन केंद्रों में भेजता है। इन आश्रय गृहों में 9 लाख से अधिक निराश्रित पशु रहते हैं। हालांकि यह भी सच्चाई है कि इन आश्रय गृहों को सम्हालना चुनौतीपूर्ण है। खासकर लगातार बढ रहे चारे की कीमतों के परिप्रेक्ष्य में। यूपी समेत कई अन्य राज्यों में चारे की समस्या भी बनी हुई है। इससे निपटने के लिए सरकार ने भूसा बैंक योजना शुरू की थी। अब प्रदेश के पशुधन और दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने दावा किया है कि आवारा पशुओं के लिए पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। सड़कों पर घूम रहे निराश्रित गोवंश को 1 जनवरी से 31 मार्च तक संरक्षित करने के आदेश दिए गए हैं। 31 मार्च 2023 के बाद किसी भी स्थिति में गोवंश बाहर नहीं होगा। यदि ऐसा दिखता है तो अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सरकार को आवारा पशुओं की समस्या के मूल कारणों की तलाश करनी चाहिए। आखिर क्यों और किन परिस्थितियों के चलते किसान इन पशुओं को सड़कों पर छोड़ रहे हैं। वो भी तब जब सरकार पशु पालकों को प्रतिदिन 30 रुपये दे रही है। 6 अगस्त 2019 को सूबे की सरकार ने मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहायता योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत आवारा पशुओं को रखने वालों को राज्य सरकार प्रतिदिन 30 रुपये और महीने में 900 रुपये देती है। बावजूद इसके यदि किसान पशुओं को सड़कों पर छोड़ रहे हैं तो कारणों की पड़ताल जरूरी है। साथ ही किसानों को यह समझाने और उन्हें जागरूक करने की जरूरत है कि गाय दूध नहीं भी दे तो भी वो उपयोगी साबित हो सकती है। इसके लिए एक ढांचागत व्यवस्था खड़ी करने की जरूरत है। गाय के गोबर से बनने वाले उत्पादों की जानकारी किसानों समेत पशुपालकों को देना होगा। उन्हें प्रशिक्षित किया जाना जरूरी है। सरकार को एनजीओ आदि की मदद लेनी चाहिए। योगी सरकार ने पीपीपी मॉडल लागू करने की बात कही है। यह एक अच्छा संकेत हैं। अब देखना है कि दो महीने के अंदर सरकार की सख्ती क्या गुल खिलाती है।






