1857 की क्रांति: अंग्रेजी सेना ने लाल किले पर कब्जा कर लिया। सैनिक लाल किले में दाखिल हो गए। सैनिक बादशाह बहादुर शाह जफर को ढूंढ रहे थे लेकिन केवल अंग्रेज अफसर होडसन को पता था कि बादशाह कहां है। होडसन ने इतनी खामोशी से अपना समझौता किया था कि धावा बोलने वालों में से किसी को मालूम नहीं था कि बादशाह अपने किले में नहीं है।
होडसन मिर्जा इलाही बख्श से सीधे तौर पर बातचीत कर रहा था और उसे अच्छी तरह मालूम था कि शाही खानदान के खास लोग कहां हैं। लाल पर्दै के अंदर दाखिल होने के बाद अंग्रेज़ सिपाही अंदर के सेहन में गए और वहां के अंदरूनी कमरों में घुसकर शाही खानदान को ढूंढ़ने लगे क्योंकि उन्हें यकीन था कि वह वहीं छिपे हैं।
“जल्दी ही फौजी बूटों की आवाजें और हथियारों की झंकार दीवाने-आम के इर्द-गिर्द के कमरों में और अंदर के बिल्कुल खास कमरों में, जहां कभी अंग्रेजों का साया भी नहीं पड़ा था, गूंजने लगी। मुग़ल बादशाहों के निजी कमरों, नूरमहल के मंडपों और हरम के अनगिनत कमरों, स्टोर के कमरों, गोदामों, हम्मामों, जच्चाखानों, सबको उन वहशियों ने शहंशाह और उनके खानदान को ढूंढ़ने में गारत कर दिया, लेकिन हमें जल्द ही मालूम हो गया कि ‘अलमारी खाली है’, और फिर सब पर लूटमार का भूत ऐसा सवार हुआ कि ऐसा नजारा न कभी किसी ने देखा न सुना।
“सिपाहियों और उनके साथी बदमाशों की टोलियों ने हर कोना और सूराख उधेड़ डाला और हर चीज को उलट-पलट कर दिया (कभी-कभी खुद को भी)। सब लूट की तलाश में थे। बार-बार दरवाज़ों के ताले तोड़ने के लिए गोलियां चल रही थीं। जैसे-जैसे सिपाही बिखरते गए, हर तरफ गोलियों का चलना और खतरा बढ़ता गया। मैंने कभी ऐसा हंगामा नहीं देखा। क्रांतिकारियों ने हर तरह का लूट का सामान किले में लाकर बादशाह को और उनके दरबारियों को पेश किया था। किले का साजो-सामान, औरतों और मर्दों के लिबास, नाचने वालियों की पोशाकें और सजावट की चीजें, खाने-पीने के बर्तन, कीमती पर्दे, घोड़ों का सजावटी साजो-सामान, किताबें, मसौदे सब विभिन्न कमरों में गडमड पड़े थे। यह सब फिर से कुरेदा गया और हमारे उत्साहित सिपाहियों ने अपने जोश में उन सबको फिर से उलट-पलट कर दिया।
“कभी एक टोली जेवरों की तलाश में बक्स खोलती नज़र आती, तो कभी दूसरी हर तरह के सामान से लदी हुई दिखाई देती थी। जिनमें तस्वीरें, किताबें, बंदूकें, पिस्तौल और जो कुछ भी उन्हें पसंद आ जाता शामिल थीं। कुछ लोग मिठाइयां और शरबत चखने में लगे थे। तो कुछ ने बदकिस्मती से चंद बोतलों से यह समझकर कि वह शाही शर्बत हैं, लंबे-लंबे घूंट लिए लेकिन अफसोस कि उनको बाद में पता चला कि वह दरअसल दवाओं की शीशियां थीं।
बादशाह को दवाइयों का बहुत शौक था और वह हमेशा बहुत सी दवाइयां अपने नजदीक रखते थे। “हमें शाही खानदान के जाती कमरों में कोई इंसान नहीं दिखा और जहां तक लूट का सवाल था, तो ज़्यादातर चीजें बेकार थीं। कोई भी चीज़ खास कीमती नहीं थी। मुझे बादशाह के जाती कमरों में एक बिल्कुल नया हवाई गद्दा मिला, जो केट (मेसी की बीवी) अब अपनी पहाड़ी पालकी में इस्तेमाल करती है। सिर्फ यही एक चीज़ थी, जो मैंने दिल्ली में लूटी और यह में यादगार के रूप में अपने पास रखना चाहता था, और मैंने प्राइज एजेंट (एडवर्ड कैंपबैल) को बता दिया। आखिरकार फौजी थकान से चूर होकर शांत होने लगे और अफ्सर उन्हें एक जगह एकत्रित करने लगे। महल पर कब्जे के बारे में जनरल को सूचित करने के लिए एक दल को भेजा गया।