1857 की क्रांति : 1857 की बगावत का समर्थन स्पष्ट रूप से लोगों के वर्गों पर निर्भर था। 11 मई की सुबह से लगातार देखा गया कि सबसे ज़्यादा जोशीले और बलवाई लोग दिल्ली के मध्य या निचले वर्ग के कामगार लोग थे। इसकी वजह से शुरू में दिल्ली आए हुए चंद सिपाहियों की तादाद में ख़ूब इज़ाफ़ा हुआ और शहर में एक हंगामा बरपा हो गया।
दिल्ली के एक रईस अब्दुल लतीफ जिन्होंने यह हालात देखे थे, उन्होंने बड़े गुस्से में कहा कि “सारे मज़हबों की शिक्षाओं को नज़रअंदाज़ और बिगाड़ दिया गया। यहां तक कि बच्चों और औरतों को भी नहीं छोड़ा गया। दिल्ली के सब खुशहाल और रईस लोग इस सूरते-हाल से बहुत नाराज थे और अक्सर बागियों से इल्तेजा करते थे कि ऐसा नहीं करें। अफ़सोस कि एक दुनिया तबाहो बर्बाद हो गई और उन गुनाहों का नतीजा यह हुआ कि दिल्ली को बुरी नज़र खा गई । ग़ालिब को भी यह सब बहुत नापसंद था, वह लिखते हैं: “
औ गुमनाम लोग जिनका कोई नामो-नसब था ना ही कोई मालो-जर। अब वह बेहिसाब दौलत और इज्जत के हकदार हो गए हैं। वह जो सड़कों पर धूलो-खाक से भरे फिरते थे जैसे हवा का कोई आवारा झोंका उन्हें यहां फेंक गया हो, अपनी आस्तीनों में हवा रखने का दावा करते हैं। यह आवारागर्द बेशर्मी से तलवारें हाथ में लिए एक गिरोह से दूसरे में मिलते चले गए। सारे दिन इन बलवाइयों ने शहर को लूटा और शाम को मखमली बिस्तरों में जाकर सो गए। दिल्ली का पूरा शहर अपने हाकिमों से खाली हो गया और उसकी जगह ख़ुदा के ऐसे बंदे यहां बस गए जो किसी ख़ुदा को भी नहीं मानते। जैसे यह कोई माली का बाग़ हो जो फूलों के दरख्तों से भरा हो। बादशाह उनको रोकने से बेबस थे। उनकी फौजें बादशाह के गिर्द जमा हो गई और वह उनके दबाव में ऐसे ढक गए जैसे चांद ग्रहण लगने से ढक जाता है। एक नौजवान मुग़ल अमीर सरवरुल मुल्क, जो उस वक्त बारह साल का रहा होगा, भी यह सब देखकर बहुत ख़ौफ़ज़दा हुआ।
वह अपने नौकर रहीम बख़्श के साथ अपनी खाला के घर जामा मस्जिद के क़रीब कूचा बुलाकी बेगम जा रहा था। वह चांदनी चौक में दरीबे से गुज़र रहा था जब “हमने देखा कि लोग मारे डर के चारों तरफ भाग रहे हैं। रहीम बख़्श खूब हट्टे-कट्टे आदमी थे, इसलिए उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और भागना शुरू कर दिया। जब मैं अपनी ख़ाला के घर पहुंचा तो उस वक्त दरवाज़ा बंद हो रहा था । रहीम बख्श ने इतनी ज़ोर से दरवाज़े पर टक्कर मारी कि हम दोनों अंदर जा गिरे और हमारे बहुत चोट आई।
Pretty! This has been a really wonderful post. Many thanks for providing these details.