1857 की क्रांति: ब्रिटिश अफसर होडसन ने बादशाह बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार कर लिया था। जफर के बेटों का होडसन ने कत्ल कर दिया। इस बीच लाल किले में कैदी बनाए गए जफर की बेइज्जती की गई। अंग्रेज़ सिपाही टोलियों में जाकर कैदी बादशाह का नजारा कर रहे थे, जो बड़ी दयनीय अवस्था में अपनी बीवी की हवेली में बैठे थे।

‘पिंजरे में बंद किसी जानवर की तरह, जैसा कि एक अफसर ने लिखा, यह छवि उन्हें देखने वाले अक्सर लोगों के जहन में शायद इसलिए भी आती धी कि उसी सेहन में जीनत महल का पालतू शेर भी बंधा था; जीनत महल के जेलर ने 24 सितंबर को लिखा, ‘यहां एक शेर है, जिसे मेरे ख्याल से यहां से हटा देना चाहिए क्योंकि उसे खाना देने वाला कोई नहीं है। या फिर उसे किसी हिंदुस्तानी को बेचकर पैसा कमाना चाहिए। और अगर उसे यहां से नहीं ले जाया जा सकता, तो उसे गोली मार देनी चाहिए। यहां एक खूबसूरत काला हिरन भी है।”        

ह्यू चिचेस्टर ने बड़े सरसरी ढंग से अपने पिता को लिखा, ‘मैंने उस बादशाह को देखा, वह बहुत बूढ़ा है और ऐसा लगता है जैसे कोई खिदमतगार हो।

हमें मस्जिद के अंदर जाने या बादशाह से मिलने के लिए जूते उतारना पड़ते थे, लेकिन अब हमने यह सब छोड़ दिया है’।'” कुछ और अफसरों ने अपने घरवालों को लिखा कि उन्होंने बादशाह से ‘कितनी बेइज्जती के साथ’ सुलूक किया और उन्हें खड़े होकर सलाम करने को मजबूर किया, जबकि एक अफसर ने शेखी बघारी कि उसने बादशाह की दाढ़ी नोची।”

22 की रात जफर से मिलने वालों में नया कमिश्नर चार्ल्स सॉन्डर्स और उसकी बीवी मैटिल्डा भी शामिल थे, जो बादशाह को यह खबर सुनाने आए थे कि उनके दो बेटों और एक पोते को गोली मारकर मार डाला गया है। चार्ल्स ग्रिफिथ्स उस रात पहरेदारों में से था। वह लिखता हैः

“बरामदे में एक मामूली देसी चारपाई पर एक गद्दे पर पाल्थी मारे हुए अजीम मुगल नस्ल का आखरी प्रतिनिधि बैठा था। देखने में उसमें कोई खास बात नहीं थी, सिवाय इसके कि उसकी लंबी सफेद दाढ़ी उसकी कमर की पेटी तक थी। वह 70 बरस से ज्यादा का होगा (वास्तव में जफर पूरे 82 साल के थे) और उसका दर्मियाना कद था। वह सफेद कपड़े पहने हुए था और उसी रंग और कपड़े की एक तिकोनी टोपी। उसके पीछे दो खिदमतगार खड़े थे, जो मोरछल हिला रहे थे जोकि बादशाहत की निशानी थी। यह उस शख्स के लिए एक दयनीय नाटक था, जिसे हर शाही अधिकार से वचित कर दिया गया था और जो अपने दुश्मनों के हाथों कैदी बन चुका था। उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलता था और रात-दिन वह खामोशी से जमीन की तरफ आंखें झुकाए बैठा रहता, जैसे वह अपने माहौल और हालात से अनजान हो। बादशाह से सिर्फ तीन फुट दूर एक दूसरे पलंग पर एक अफसर पहरे पर बैठा रहता और दो लंबे-चौड़े यूरोपियन संतरी बंदूकों में संगीनें लगाए उसके दोनों तरफ खड़े होते। आदेश यह था कि अगर बादशाह को छुड़ाने की जरा भी कोशिश हो, तो पहरे पर तैनात अफसर फौरन अपने हाथ से बादशाह को गोली मार दें।”

जब तीनों शाहजादों के कत्ल की खबर ज़फ़र को सुनाई गई, तो उन्हें इतना सदमा पहुंचा कि वह कोई प्रतिक्रिया तक नहीं कर सके। लेकिन मैटिल्डा सॉन्डर्स का कहना है कि जब जीनत महल ने अपने कमरे में पर्दे के पीछे से यह खबर सुनी, तो वह बहुत खुश हुईं ‘और उन्होंने कहा कि उन्हें बादशाह के बड़े बेटे की मौत की बहुत खुशी है, क्योंकि अब उनके अपने बेटे जवांबख्त के तख्त पर बैठने का रास्ता साफ हो गया है। कुछ लोग इसे ईमानदारी कह सकते हैं, लेकिन उस बेचारी ख्वाबों में रहने वाली औरत को क्या मालूम था कि उसको इस दुनिया में कोई तख्त नहीं मिलेगा, जैसा कि उसे जल्द ही पता लगने वाला था।’

उसके बाद मैटिल्डा सॉन्डर्स ताज बेगम से मिलने गई, जो अपनी पुरानी विरोधी जीनत महल से दूर एक कमरे में रखी गई थीं।

“हम फिर एक और बेगम से मिलने गए जो अपने जमाने में बहुत खूबसूरत मानी जाती थीं। हमने उनको बहुत गमगीन हाल में पाया। उनके कंधे और सिर काली मलमल के दोपट्टे से ढके थे। उनकी मां और भाई दोनों गदर के जमाने में हैजा से मर गए थे और अब वह बादशाह की चहेती भी नहीं रही थीं। जीनत महल उनसे बहुत जलती थीं और उनको तीन साल कैद में रखा था। जब में वापस जा रही थी तो बादशाह ने मुझे बुलाया और कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि वह फिर मुझसे मिलेंगे और कि मैं उनके और चार्ली के दर्मियान दूत का काम करूंगी। मैंने जवाब दिया, ‘कभी नहीं’, और मैंने इसे दो बार बहुत ज़ोर से दोहराया भी ताकि वह बूढ़ा मेरी बात को अच्छी तरह समझ ले।

मैंने बाहर खड़े राइफल गार्ड से भी बात की कि जो बादशाह का पहरा दे रहा था। चार्ल्स उस वक़्त मिसेज ग्रांट की हाथी पर चढ़ने के लिए मदद कर रहे थे। मैंने गार्ड से कहा कि मुझे उम्मीद है कि तुम बादशाह को सुरक्षित रखोगे, उन्हें यहां से भागने मत देना। ‘नहीं, मैडम,’ उसने जवाब दिया, ‘इसका कोई डर नहीं है। यहां हम सबको उनसे बड़ा लगाव है।’ तो मैंने कहा, ‘ठीक है,’ और यह कहकर सबको गुड मॉर्निंग कहती हुई वापस चली गई।

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