Lal Bahadur Shastri Jayanti 2022: पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद कुलदीप नैयर द्वारा यूएनआइ पर मोरारजी की दावेदारी की खबर चलाते ही हड़कंप मच गया। मोरार जी प्रधानमंत्री की रेस से बाहर हो गए। आखिरकार लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया। कुलदीप नैयर लिखते हैं कि आखिर एक निर्बल को बलवान की भूमिका सौंप दी गई थी। एक निरीह से व्यक्ति को पृथ्वी के सिंहासन पर बिठा दिया गया था। वह व्यक्ति जिनके 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान टाइफाइड से ग्रस्त अपनी बेटी के इलाज के लिए पैसे न होने के कारण उसे मौत के मुह में जाते देखा था, अब देश का प्रधानमंत्री था।
जब कामराज योजना के अन्तर्गत शास्त्री को सरकार से बाहर बैठना पड़ा था तो उन्होंने अपने भोजन को एक सब्जी तक सीमित कर दिया था, और अपनी सबसे मनपसन्द सब्जी आलू खाना छोड़ दिया था क्योंकि उन दिनों आलू काफी महँगे बिक रहे थे। गरीबी ने उन्हें विनयशील बना दिया था और लोगों को यह बड़ी प्यारी खूबी प्रतीत होती थी। अहंकार, दम्भ और घमंड से भरे राजनीतिज्ञों की भीड़ में उनकी विनम्रता हर किसी का मन मोह लेती थी। उनके अनुभवों ने उन्हें सिखाया था कि टकराव से सहयोग कहीं बेहतर था। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठते समय उन्होंने गांधीजी के शब्दों को याद करते हुए कहा था, “हल्के-फुल्के बैठो, न कि तनकर।