धर्मनॉमिक्स पुस्तक पर परिचर्चा संग “साहित्य संवाद श्रृंखला” आयोजित
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
स्टूडेंट्स फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमैनिटी फाउंडेशन (SHoDH) द्वारा बहुप्रतीक्षित साहित्य संवाद श्रृंखला का वर्चुअल आयोजन किया गया। कार्यक्रम की समीक्षा और चर्चा का केंद्र “धर्मनॉमिक्स: एक स्वदेशी और सतत आर्थिक मॉडल” पुस्तक थी। पुस्तक के लेखक श्रीराम बालसुब्रमण्यम कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे। सत्र में SHoDH के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. आलोक सिंह और राष्ट्रीय संयोजक श्री अर्जुन आनंद भी मौजूद थे।
देश भर से सैकड़ों प्रतिभागियों ने इस सत्र में भाग लिया, जिससे विषय की व्यापक अपील और प्रासंगिकता प्रदर्शित हुई। इनमे से अधिकांश प्रतिभागी भारत के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र और शोधार्थी थे।
जेएनयू की शोध छात्रा मेधा सिंह ने उत्कर्ष दुबे (जेएनयू के पीजी छात्र) के साथ मिलकर कार्यक्रम का सफल संचालन किया; आंग्ल व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय की पीएचडी स्कॉलर कृतिका सेन ने वक्ता और विभिन्न शिक्षा संस्थानों से आए सैकड़ों प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन देते हुए सत्र का समापन किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं पुस्तक के लेखक श्रीराम बालासुब्रमण्यम ने अपनी पुस्तक में विषयों, विचारों और व्यापक दृष्टिकोणों पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बल देकर कहा कि “भारत का आर्थिक इतिहास बहुत विशाल है, परन्तु अभी तक शोधार्थियों द्वारा इसकी ओर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक समय की अर्थव्यवस्था में पर्याप्त भारतीय तत्व नहीं हैं। उनके अनुसार अधिकांश भारतीय स्वदेशी आंदोलन और शब्दावली को आर्थिक दृष्टिकोण से देखते हैं किन्तु यह मुख्यतः एक राजनीतिक घटना थी।
उन्होंने भारत की आर्थिक विरासत को उचित रूप से समझने के लिए कौटिल्य के अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया। इसके साथ ही उन्होंने सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धर्म, स्वदेशी ज्ञान और आधुनिक आर्थिक मॉडल के संयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम वह सभ्यता हैं, जिसकी नींव हमेशा से धर्म पर टिकी हुई है।” उनकी चर्चा ने श्रोताओं को आकर्षित किया और एक सार्थक प्रश्नोत्तर सत्र आमंत्रित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने गहरी रुचि और उत्साह दिखाया।
SHoDH के संयोजक अर्जुन आनंद ने कहा कि “यह आयोजन SHoDH के भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने और बौद्धिक संवाद को प्रोत्साहित करने के प्रयासों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
साहित्य संवाद को भारत भर के लेखकों और शोधकर्ताओं के बीच चर्चाओं की एक श्रृंखला के रूप में तैयार किया गया है, ताकि भारतीय देश-काल की आवश्यकताओं के अनुरूप समग्र शैक्षणिक आख्यान और प्रवचन तैयार किए जा सकें। प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी ने इस उद्घाटन सत्र को सफल बना दिया। यह संवाद श्रृंखला निरंतर चलेगी और आने वाले समय में विभिन्न प्रासंगिक चर्चा लेकर आती रहेगी।”