देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की पत्नी और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की मां कमला नेहरू (Kamla Nehru) का जन्म 1 अगस्त 1899 को कश्मीरी परिवार में हुआ था। इनके पिता जवाहर लाल कौल व्यवसायी थे। उस समय लडकियों को घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं थी। इस तरह के माहौल में कमला जी की शिक्षा दीक्षा घर पर ही हुई। मोती लाल नेहरू ने कमला जी को अपने बेटे की जीवनसंगिनी के लिए चुना। आज कमला नेहरू का जन्मदिन है। आइए आपको एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं। कैसे कमला जी ने लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता को राजनीति में ले आयी।

यह उन दिनों की बात है जब गांधीजी (Mahatma Gandhi) ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन चलाया था। इस आंदोलन में महिलाओं की अग्रणी भूमिका थी। इलाहाबाद में विदेशी वस्तुएँ बेचनेवाली दुकानों पर धरना देनेवालों में जवाहरलाल की पत्नी कमला नेहरू अगुआ थीं। इन दुकानों से सामान लेनेवाली ग्राहक अधिकतर स्त्रियां ही होती थीं। ऐसे में कमला नेहरू महिलाओं को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित करती थीं।

एक दिन लालबहादुरजी (Lal bahadur shastri) आनंद भवन गए हुए थे। वहां पर कमला नेहरू उनसे बातें करने लगीं। बातें करते-करते वे बोलीं, “देश सेवा में और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आंदोलन में आपकी पत्नी को भी हिस्सा लेना चाहिए। उन्हें भी दुकानों पर धरना देने में महिलाओं का साथ देना चाहिए।”

कमला नेहरूजी की बातें सुनकर शास्त्रीजी बोले, “इस काम के लिए तो आप ही उन्हें राजी कर सकती हैं। मैं तो स्वयं चाहता हूँ कि स्त्रियां हर कार्य में आगे आएं और कंधे से कंधा मिलाकर देश सेवा में अपना योगदान दें।” कमला नेहरू बोलीं, “फिर तो ललिताजी को अवश्य आगे आना चाहिए।” शत्रीजी बोले, “आप ही उन्हें इस काम के लिए राजी कर सकती हैं।” शास्त्रीजी से अनुमति पाकर कमला नेहरू मुसकराते हुए बोली, “बस, फिर तो समझिए कि अब से ललिता भी राजनीति का हिस्सा होंगी।”

इसके बाद वह ललिताजी के घर पर पहुंची। ललिताजी उस समय अपनी सास से कुछ बातें कर रही थीं। कमला नेहरू बुद्धिमान थीं। वह समझ गई कि इस काम के लिए पहले ललिताजी की सास से अनुमति आवश्यक है। थोड़ी इधर-उधर की बातें करने के बाद वह बोली, ‘अम्माजी, देश के लिए शास्त्रीजी अपना सब कुछ न्योछावर कर कूद पड़े हैं। ऐसे में उनके परिवार के और सदस्यों को भी तो आगे आना चाहिए। “

“अम्माजी बोला, “बेटी, अब इस उम्र में मैं क्या देश की सेवा करूंगी? बच्चे अभी छोटे हैं। ऐसे में हमारे घर में प्राणी ही कहाँ हैं, जो देश-सेवा के लिए आगे आएं? नन्हें तो हमारे घर से हैं ही।” इस पर कमला नेहरू तपाक से बोली, “अम्माजी, ललिताजी को भी इस काम के लिए आगे आना चाहिए। यदि विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कराने में वे हमारी मदद करेंगी, तो शास्त्रीजी को भी अच्छा लगेगा।” अम्माजी कमला नेहरू की इस बात को इनकार न कर सकी और इस तरह ललिताजी का भी राजनीति में प्रवेश हो गया।

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