कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में किया है खुलासा

चीन (china) पर अपनी नीति को लेकर नेहरू कई प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों की कटु आलोचना से आहत महसूस कर रहे थे। तभी कांग्रेस अध्यक्ष कामराज (congress president kamaraj) ने सुझाव दिया कि कैबिनेट के सदस्यों को संस्थागत काम करके पार्टी को मजबूत करना चाहिए। कुलदीप नैयर अपनी किताब में लिखते हैं कि यह दरअसल नेहरू (jawaharlal nehru) का विचार था और कामराज इसे अभिव्यक्त भर कर रहे थे। दो प्रमुख आलोचकों मोरारजी देसाई और जगजीवन राम के साथ-साथ शास्त्री को भी कैबिनेेट से हटाकर पार्टी के काम में लगा दिया गया।

जब कुलदीप नैयर ने शास्त्री जी (lal bahadur shastri) से पूछा कि नेहरू के प्रति इतने वफादार होने के बावजूद उन्हें क्यों निशाना बनाया गया था। उन्होंने जवाब दिया कि पंडितजी को मजबूरी में ऐसा करना पड़ा था, ताकि यह न लगे कि अपने आलोचकों से पीछा छुड़ाने के लिए ही उन्होंने कामराज प्लान रचा था। शास्त्री का कहना था कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों का नाम भी उन मुख्यमंत्रियों में शामिल था जिन्हें इस्तीफा देना था, लेकिन आखिरी घड़ियों में नेहरू ने उनका नाम सूची से हटा दिया था। शास्त्री को यह अच्छा नहीं लगा था।

घर की बत्तियां रहती थी बंद

कुलदीप नैयर ने लिखा है कि शास्त्री जी के सरकार से हटने के बाद वो अक्सर शाम के समय उनके आवास पर जाते रहते थे। हालांकि अब उनके साथ आधिकारिक सम्बन्ध नहीं रहे थे, फिर भी आपसी लगाव पैदा हो गया था और वो इसी वजह से आवास पर मिलने जाते रहते थे। एक दिन शास्त्री जी के बंगले में अंधेरा छाया हुआ था। सिर्फ ड्राइंग रूम की लाइट जल रही थी। कुलदीप नैयर को लगा कि शायद वे घर पर नहीं थे, क्योंकि उनका इकलौता गार्ड भी दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन शास्त्री घर पर ही थे और ड्राइंग-रूम में अकेले बैठे अखबार पढ़ रहे थे। मैंन पूछा कि बाहर रोशनी क्यों नहीं थी। उन्होंने कहा था कि अब बिजली का बिल उन्हें खुद देना पड़ेगा और वे ज्यादा खर्च नहीं उठा सकते थे।

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