Yash Chopra Birthday आज यश चोपड़ा का जन्मदिन है। यश चोपड़ा की फिल्मों में प्यार, मोहब्बत को तरजीह दी जाती थी। यश चोपड़ा, मशहूर निर्देशक बीआर चोपड़ा के भाई थे। जब भारत का विभाजन हुआ तो यश को अपने भाई के साथ मुंबई आना पड़ा। बीआर चोपड़ा ने अपनी मेहनत से मुकाम हासिल किया और कई शानदार फिल्मों का निर्देशन किया। फिल्म इंडस्ट्री में यह कहा जाता है कि यश चोपड़ा के पिता का सपना था कि वो इंजीनियर बनें लेकिन किस्मत ने उन्हें हिंदी फिल्मों की तरफ धकेला। उन्हें भाई की तरह फिल्मों में दिलचस्पी जगी और उन्होंने बी आर चोपड़ा के साथ फिल्मों के निर्देशन में सहायता देनी शुुरू की। यश चोपड़ा ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वैजयंती माला ने उनके हुनर को पहचानते हुए उन्हें निर्देशक बनने की सलाह दी थी। आज यश चोपड़ा का बर्थडे हैं। आइए उनके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं-
यश चोपड़ा ने 1959 में अपनी पहली फिल्म धूल का फूल बनायी थी। इसके बाद 1961 में धर्मपुत्र बनाई। इन्होने 1965 में फिल्म वक्त बनाई। इस फिल्म ने यश चोपड़ा को स्थापित किया। फिल्म फेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त भारत सरकार ने उन्हें 2005 में भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया।
जन्म
सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा का जन्म 27 सितम्बर 1932 को ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रान्त के ऐतिहासिक नगर लाहौर में हुआ था। उनका पूरा नाम यश राज था जिसमें से उन्होंने यश अपना लिया और राज को छोड़ दिया।
परिवार
यश चोपड़ा का विवाह पामेला चोपड़ा से हुआ। यश चोपड़ा के दो बेटे हैं उदय चोपड़ा और आदित्य चोपड़ा। आदित्य चोपड़ा फिल्म निर्माता-निर्देशक हैं, वहीं उनका छोटा बेटा हिंदी फिल्म अभिनेता है।
फिल्म करियर
यशराज नेे अपने करियर की शुरुआत आई० एस० जौहर के साथ बतौर उनके सहायक के रूप में किया। बाद में बड़े भाई बी० आर० चोपड़ा की धूल का फूल” के निर्देशन मेें सहयोग दिया। इसके बाद “धर्मपुत्र” पर आधारित फिल्म का निर्माण 1961 में करके एक और धमाका किया। इन दोनों फिल्मों की सफलता से प्रोत्साहित चोपड़ा भाइयों ने कई फिल्में उन्नीस सौ साठ के दशक में बनायीं। 1965 में “वक़्त” की अपार लोकप्रियता से उत्साहित होकर यश चोपड़ा ने 1973 में स्वयं की फिल्म कंपनी यश राज फिल्म्स” की स्थापना की।
1973 में “दाग”, 1975 में “दीवार”, 1976 में “कभी कभी” और 1978 में “त्रिशूल” जैसी सुपर डुपर हिट फिल्में बनाई। 1981 में “सिलसिला”, 1984 में “मशाल” और 1988 में बनी “विजय” उनकी यादगार फिल्में हैं। 1989 में “चांदनी” का निर्माण किया जिसने कीर्तिमान रच डाला।
1991 में उन्होंने क्लासिकल फिल्म “लम्हे” बनायी जिसे खूब सराहा गया। “डर” फिल्म आज भी यादगार है। 1997 में “दिल तो पागल है”, 2004 में “वीरजारा” और 2012 में “जब तक है जान” का निर्माण करके 2012 में ही उन्होंने फिल्म-निर्देशन से अपने संन्यास की घोषणा भी कर दी थी।
मृत्यु
यश चोपड़ा को 13 अक्टूबर 2012 को डेंगू हुआ। 21 अक्टूबर 2012 को 5:30 बजे 80 वर्ष की आयु में डेंगू बुखार के कारण यश चोपड़ा के कई अंगों की विफलता के बाद मृत्यु हो गई।