नेहरू ने गृहमंत्री जीबी पंत को लिखा था पत्र

  • नेहरू लालफीताशाही की करते थे खिंचाई
  • नेहरू चाहते थे कि पूरा सिस्टम बदला जाए

गृहमंत्री जीबी पंत नौकरशाही पर बहुत ज्यादा भरोसा करते थे, लेकिन नेहरू इसे कोई खास महत्त्व नहीं देते थे। प्रशासन को लेकर दोनों के विचारों में काफी भिन्नता थी। जैसाकि नेहरू कहा भी करते थे, उनमें ‘कायदे-कानूनों के जंजाल’ में उलझने का धीरज नहीं था। वे लालफीताशाही की खुलेआम खिंचाई करते थे। पन्त का मानना था कि कायदे-कानून सरकार को अपने फैसलों पर अच्छी तरह सोच-विचार कर लेने में मदद करते थे। यह एक कठोर, लेकिन अनिवार्य प्रक्रिया थी, जो सरकार को अनुशासन में रखती थी।

इतना ही नहीं, पन्त ने एक लम्बा नोट लिखकर नियमों और कायदों को सही ठहराया था। यह नोट उन्होंने नेहरू के एक पत्र के जवाब में लिखा था, जो सार्वजनिक प्रशासन में विशेषज्ञ माने जानेवाले पॉल एच. ऐपलसी से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। नेहरू की सलाह पर भारतीय नौकरशाही का आकलन करने पर ऐपलसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्रशासन तंत्र में भिन्न-भिन्न रूपों में वर्ग, पद और विशेषाधिकारों से जुड़ी मानसिकता, दिखाई देती थी और सरकारी प्रक्रियाएँ ‘बहुत ज्यादा उलझी हुई और समय बर्बाद करनेवाली थीं। इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद नेहरू ने पन्त को लिखा था-“हम एक ढर्रे में बँध गए हैं और उन पुरानी परम्पराओं को निभाए जा रहे हैं जिनका आज कोई मतलब नहीं है। अगर हमें एक कल्याणकारी राज्य के रूप में काम करना है तो हमारी पूरी प्रशासनिक सेवा को बिलकुल अलग तरह से काम करना होगा, बल्कि अलग तरह से सोचना भी होगा…..

नेहरू का पत्र काफी तीखी भाषा में था, इसलिए पन्त को बुरा लगना स्वाभाविक था। नेहरू ने लिखा था कि वे ‘जल्दी’ ही प्रशासनिक ढाँचे में बदलाव देखना चाहते थे। पन्त ने यह नोट गृह सचिव बी. एन. झा को थमा दिया, जिन्होंने ‘जल्दी’ शब्द के बावजूद इसे फाइल के हवाले कर दिया। उनका कहना था कि पंडितजी सपनों की दुनिया में थे और हवाई बातें कर रहे थे।

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