मौजूदा देशबंधु गुप्ता रोड की चढ़ाई चढ़कर बाएं हाथ की सड़क जाकर यह मंदिर आता है। यह देवी का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे झंडेवाला मंदिर कहकर पुकारते हैं। यह झंडेवाली पहाड़ी पर बना हुआ है। चारदीवारी के अंदर प्रेवश करके एक बगीचा है, जिसमें कई मकान बने हुए हैं।

बाएं हाथ पर एक बहुत पुराना कुआं है, जिसका ठंडा पानी मशहूर है। सीढ़ियां चढ़कर पक्का चबूतरा बना है, जिस पर बीच में देवी का मंदिर है। मंदिर अठपहलू है। देवी की मूर्ति संगमरमर की है, जो चबूतरे पर बैठी है। चबूतरे की चार सीढ़ियां हैं। मंदिर के आगे एक दालान बना हुआ है। मंदिर की परिक्रमा भी है। मंदिर डेढ़ सौ वर्ष पुराना बताया जाता है।

मंदिर के साथ कई धर्मशालाएं बनी हुई हैं। एक हनुमान मंदिर भी है। इस देवी की मान्यता बहुत है। बहुत से दर्शनार्थी रोज ही यहां आते हैं, खासकर अष्टमी के दिन तो खासी भीड़ हो जाती है। उसमें भी नवरात्रों में और भी अधिक। इस इलाके का नाम मोतिया खान भी है। पुराने जमाने में यहां पहले दो मेले हुआ करते थे- अषाढ़ी पूर्णिमा के दिन पवन परीक्षा का मेला, बरसात कैसी होगी, इसकी खास परीक्षा की जाती थी। दूसरा मेला होता था श्रावण शुक्ला तीज को, जो तीजों का मेला कहलाता था। यह लड़कियों का मेला था। यहां झूले डालकर लड़कियां झूला करती थीं। पाकिस्तान बनने के बाद यहां पर मेले होने बंद हो गए। अब ये मेले रामलीला मैदान में होने लगे हैं।

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