पिछले कुछ दशकों में अगर किसी बाजार ने सबसे ज्यादा बदलाव देखा है तो उसमें से एक है बिजली उपकरणों का बाजार। तकनीक के दौर में आधुनिक से अत्याधुनिक होते उपकरणों व उसके खरीदारों के बीच तालमेल बिठाना दुकानदार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इस चुनौती का करीब सात दशकों से सामना करते हुए ग्राहकों के विश्वास पर खरा उतरने वाले ‘आहूजा संस’ (ahujasons khan market) का बिजली के ‘कुछ’ उपकरणों से शुरू किया सफर अब ‘सब कुछ’ तक का सफर तय कर चुका है। दिल्ली के पुराने बाजारों में से एक खान मार्केट में वर्ष 1960 में स्थापित इस दुकान में बिजली उपकरण, किचन एप्लाएंसेज व होम डेकोर की तमाम अत्याधुनिक उपकरण मौजूद है। दुकान का संचालन वर्तमान में तीसरी पीढ़ी कर रही है।

भारत-पाक विभाजन के बाद पहुंचे दिल्ली

‘आहूजा संस’ के संस्थापक स्वर्गीय प्रीतम सिंह आहूजा का बन्नू (अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह सूबे में) में फाइनेंस का बिजनेस था, लेकिन वर्ष 1947 में भारत-पाक विभाजन के बाद उन्हें परिवार सहित दिल्ली आना पड़ा। विभाजन में स्थापित व्यापार तहस-नहस हुआ तो परिवार रातों-रात अर्श से फर्श पर आ गया। दुकान के संचालक बताते हैं कि फाइनेंस की समझ के साथ-साथ दादा जी की रुचि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी थी, जिसका फायदा उन्हें यहां आने के बाद हुआ। करीब एक दशक तक परिवार चलाने व व्यापार के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिहाज से वो छोटी-मोटी नौकरी करते रहे। पूंजी जमा हुआ तो वर्ष 1960 में खान मार्केट में बिजली के उपकरणों व उसके मरम्मती की साधारण सी दुकान से आहूजा एंड संस की शुरूआत की।

तीसरी पीढ़ी संभाल रही है व्यापार

शुरुआती दिनों में जब बिजली उपकरणों की मरम्मती का काम चल निकला तो प्रीतम सिंह ने रिकार्डिंग प्लेयर्स और रेडियो सरीखे उस दौर के प्रचलित उपकरणों को भी दुकान में शामिल कर लिया। बदलाव के साथ-साथ तमाम विषम परिस्थितियों से जूझते हुए उन्होंने वर्ष 1972 तक दुकान का संचालन किया और इसे शहर के भरोसेमंद दुकानों में शामिल करवाया। वर्ष 1990 से दुकान संचालन में जुड़े सुनील व वर्ष 1992 से जुड़े अमित कहते हैं कि दो पीढ़ियों से उनके परिवार ने इस व्यापार को अपने बच्चों की तरह बड़ा किया। इस विरासत को संभालते हुए वो भी गौरवांवित महसूस करते हैं।

ग्राहकों में आम से लेकर खास

राजधानी दिल्ली से जुड़ाव रखने वाले बड़े राजनेता हों या अभिनेता, या फिर साहित्यकार हों या संगीतकार ‘आहूजा संस’ के बिजली उपकरणों के खरीदार में शामिल हैं। अमित कहते हैं कि इस बाजार के आस-पास का आवासीय परिसर सरकारी अधिकारियों, सांसद और मंत्रियों का है इसलिए अधिकतर ग्राहक भी उन्हीं में से होते हैं। सबसे खास बात है कि दिल्ली छोड़ने के बाद भी वे दुकान के ग्राहक बने रहते हैं। अॉनलाइन मार्केट के तमाम विकल्पों के बावजूद सप्ताह में दिल्ली-एनसीआर से चार से पांच ऐसे ग्राहक आते ही हैं जो दुकान से दशकों से जुड़े हैं। दशकों पुराने ऐसे सैकड़ों खरीदार हैं जिनसे व्यापार के कारण पारिवारिक रिश्ता सा बन गया है।

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