इसे मोहम्मद तुगलक ने 1326 ई. में बनवाया था। जहांपनाह से जो नाला बहता था, उसको रोकने के लिए यह बंद बांधा गया था। जहांपनाह की दीवार में पश्चिम की ओर खिड़की गांव के पास एक दोमंजिला बंद है, जिसमें सात-सात खिड़कियां लगी हुई हैं। यह 38 फुट ऊंचा है। बीच के तीन दर ग्यारह – ग्यारह फुट चौड़े हैं। बाकी चार नौ-नौ फुट चौड़े हैं। पुल की लंबाई 177 फुट है और दोनों सिरों के दरवाजे मिला लें, जो 39 फुट चौड़े हैं, तो पुल की लंबाई 255 फुट हो जाती है। पुल के ऊपर भी मकान बने हुए हैं। दरवाजे बहुत सुंदर हैं, जो बुर्जदार हैं।

बुजों में अठपहलू एक-एक कमरा है। पुल के दोनों दरवाजों के सामने एक-एक चबूतरा 57 मुरब्बा फुट पुल की सतह के बराबर है, मगर सतह जमीन से 64 फुट ऊंची है। पुल के दोनों तरफ सतह जमीन के बराबर है। दोनों तरफ खुली महराबें हैं, जिनमें ऊपर चढ़ने को जीना है। इधर खेती इसी पानी से होती है।

मुसलमान इस जगह को अपना तीर्थ मानते हैं, क्योंकि हजरत चिरागुद्दीन ने यहां नमाज पढ़ी थी और इस जगह के पानी को दुआ दी थी कि वह बीमारियों को ठीक करेगा। कार्तिक के महीने में इतवार और मंगल को यहां मेला लगता है और औरतें अपने बच्चों को इस पानी में स्नान कराती हैं तथा पानी साथ भी ले जाती हैं।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here