प्रयागराज में 45 दिनों के दौरान 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आएंगे
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में संगम 45 दिनों का महाकुंभ मेला शुरू हो चुका है। पहले दिन एक करोड़ लोगों ने स्नान किया। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक 40 करोड़ लोग इस शहर में आएंगे। इस विशाल आयोजन के लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार के अधिकारियों का अनुमान है कि महाकुंभ 2025 के कारण सरकार 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त कर सकती है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को 2 लाख करोड़ रुपये का कुल लाभ होगा, जिससे महिला स्वयं सहायता समूहों, स्थानीय कारीगरों, होटल कारोबारियों, होमस्टे संचालकों, रेस्तरां और फूड स्टॉल मालिकों को आर्थिक लाभ मिलेगा। डाबर, मदर डेरी और आईटीसी जैसे बड़े ब्रांड 3,000 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं।
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, 2019 के कुंभ मेले में 24 करोड़ श्रद्धालु आए थे, जबकि 2013 के पूर्ण कुंभ में 12 करोड़ श्रद्धालु आए थे। वहीं 2016 में उज्जैन के कुंभ मेले में 7.5 करोड़ श्रद्धालु आए थे। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि मौनी अमावस्या के दौरान अनुमानित तौर पर 4-5 करोड़ भक्तों के प्रयागराज में पहुंचने और स्नान में भाग लेने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने महाकुंभ के लिए 6,900 करोड़ रुपये की लागत से बुनियादी ढांचे से लेकर स्वच्छता से जुड़ी 549 परियोजनाएं शुरू की हैं। वर्ष 2019 में सरकार ने 3,700 करोड़ रुपये की लागत से 700 परियोजनाएं शुरू की थीं।
राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं कि महाकुंभ मेला किसी अप्रिय घटना के बिना सही तरीके से संपन्न हो। मेले का सफल प्रबंधन ‘ब्रांड यूपी’ बनाने और 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य से जुड़े इसके नैरेटिव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के साथ ही महाकुंभ की सफलता वास्तव में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिए आदित्यनाथ सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूती देगी।
योगी आदित्यनाथ के अनुसार, वर्ष 2016 में केवल 2,83,000 पर्यटक अयोध्या गए थे और अब मंदिर के निर्माण के कारण वर्ष 2024 में सितंबर तक पर्यटकों की संख्या बढ़कर 13.4 करोड़ हो गई थी और वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 16 करोड़ होने की संभावना थी। इसी प्रकार, काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी में वार्षिक स्तर पर पर्यटकों के आने की तादाद 50 लाख से बढ़कर अब 6 करोड़ हो गई है।
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हालांकि, कुंभ मेले में दुखद घटनाएं भी होती रही हैं और 1954, 1986 और 2013 के कुंभ मेलों में भगदड़ हुई, जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन अब राज्य प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की है कि महाकुंभ 2025 में वास्तव में 2019 कुंभ की सफलता दोहराई जाए।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
महाकुंभ मेले में सुरक्षा व्यवस्था का कड़ा प्रबंध किया गया है। इसमें 329 एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिनमें कुल 10,000 सीसीटीवी कैमरे शामिल होंगे। प्रयागराज हवाई अड्डे पर भी सुरक्षा के लिए 3,000 सीसीटीवी कैमरे और 500 एआई डिवाइस लगाए जा रहे हैं। महाकुंभ के उद्घाटन समारोह में 2,500 ‘मेक इन इंडिया’ ड्रोन शामिल होंगे, जो पूरे क्षेत्र की निगरानी करेंगे और सुरक्षा व्यवस्था को अत्यधिक कुशल बनाएंगे।
कुंभ मेले का भव्य आयोजन
कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए प्रदेश सरकार ने 2,200 लक्जरी टेंट सहित 1,60,000 टेंट लगाए हैं। प्रयागराज में 218 होटल, 204 गेस्ट हाउस, 90 धर्मशालाएं, और कई होमस्टे भी हैं। एरियल घाट पर 3.25 एकड़ में फैले डोम सिटी में रहने के लिए महंगे विकल्प भी हैं जिनके लिए रोजाना 80,000 रुपये तक की कीमत चुकानी होगी।
अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं की व्यवस्था
इस बार प्रयागराज में अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं। इस आयोजन के लिए 100 विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी जो कुंभ मेले की अवधि के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से प्रयागराज तक जाएंगी। इसके अलावा इस शहर के लिए उड़ानों की संख्या को भी बढ़ाया गया है।
महाकुंभनगर जिला घोषित
करीब 4,000 हेक्टेयर में फैले महाकुंभ टेंट सिटी को धार्मिक मेले की अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश का 76 वां जिला घोषित किया गया है। इस जिले में 56 पुलिस स्टेशन और 133 पुलिस चौकियां होंगी। इस टेंट सिटी में 67,000 स्ट्रीट लाइट, श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए 7,000 केसरिया रंग की बसों का इंतजाम किया गया है। इसके अलावा यहां 1,249 किलोमीटर लंबी पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है और 3,00,000 पौधे लगाए जाएंगे।
मौनी अमावस्या की भीड़ प्रबंधन
13 जनवरी और 26 फरवरी सहित छह दिनों के ‘शाही स्नान’ के दौरान भीड़ प्रबंधन सबसे महत्त्वपूर्ण होगा। 2019 कुंभ की एक बड़ी सफलता यह भी थी कि उस दौरान यहां साफ-सफाई की व्यवस्था बेहद कुशलता से की गई थी और 1,22,500 शौचालय बनाए गए थे।
औपनिवेशिक संदर्भ
इंपीरियल गैजेट ऑफ इंडिया, 1883, में इलाहाबाद में आयोजित 1882 के ‘माघ मेला’ का उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया था कि एक लाख भक्तों ने भाग लिया था। औपनिवेशिक दौर के रिकॉर्ड के अनुसार, 1900 के अर्थ कुंभ से सरकार की आय 26,621 रुपये थी, जबकि 38,400 रुपये खर्च किए गए थे। वर्ष 1906 के पूर्ण कुंभ में 92,024 रुपये के खर्च के मुकाबले 62,480 रुपये की कमाई हुई थी। 1906 के पूर्ण कुंभ में 30 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया था।