इंग्लैंड में प्रवास के दौरान माेहम्मद अली जिन्ना (muhammad ali jinnah) ने कानून की पढ़ाई का फैसला किया। फरवरी 1893 में ‘लिंकन्स इन’ में दाखिले का आवेदन किया। मई 1893 में ‘इन’ की प्रारम्भिक परीक्षा पास करके दाखिला मिल गया। अगले वर्ष से कानून की पढ़ाई चार वर्ष की होने वाली थी। जिन्ना को केवल अंग्रेजी और इतिहास में परीक्षा देनी पड़ी। उसे आसानी से लैटिन से छूट मिल गई। उसने उस समय की प्रथा के अनुसार कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक सुस्थापित बैरिस्टर को अपना गुरु बनाया और उनके मार्गदर्शन में अपनी पढ़ाई की। इस दौरान उसने लोकतंत्र, प्रगतिशील उदार राजनीति के विचार भी ग्रहण किये। वह ग्लेडस्टोन, मॉर्ले के विचारों से बहुत प्रभावित हुआ। जिन्ना ने किंग्सटन में 35 रसल स्ट्रीट में रहना शुरू किया। अब इस मकान में काउंटी कांउसिल की एक पट्टिका लगी है जिसमें अंकित है ” पाकिस्तान के संस्थापक 1895 में इस मकान में रहते थे। “

हुड़दंग के लिए पुलिस हिरासत

जिन्ना को केवल एक बार पुलिस हिरासत में रहना पड़ा। अपने छात्र जीवन के दौरान नौका दौड़ के दौरान उसे हुड़दंग करने के लिए गिरफ्तार किया गया। उसने कुछ अन्य लड़कों के साथ मिल कर एक गाड़ी पर कब्जा किया था और उस पर बारी-बारी से बैठकर खूब मौज-मस्ती की थी। उसे गिरफ्तार कर पुलिस स्टेशन ले जाया गया और एक रात हवालात में बितानी पड़ी। फिर उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जिन्ना ने कभी जेल यात्रा नहीं की। जिन्ना को 29 अप्रैल 1895 को ‘ला’ की डिग्री मिली।

थियेटर पसंद

वकालत करने की अनुमति मिलने के बाद (1895) में जिन्ना कुछ मित्रों के साथ एक नाटक कंपनी में गए। कंपनी में उनसे मंच पर जाकर शेक्सपीयर के कुछ अंश पढ़ने को कहा गया। नाटक कंपनी का मालिक और उसकी पत्नी दोनों जिन्ना के अभिनय और उच्चारण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जिन्ना के साथ ठेका करके उन्हें आकर्षक वेतन पर नियुक्त कर दिया।

जिन्ना ने अपने पिता को इसकी सूचना दी। पत्र लिखा कि ” वकालत में भविष्य अनिश्चित है, उसे जमाने में समय लगता है। नाटक कंपनी मुझे आकर्षक वेतन दे रही है, उसके बाद मैं आत्मनिर्भर हो जाऊंगा और कुछ समय बाद काफी कमाने लगूंगा।” पिता ने इसका जबर्दस्त विरोध किया और लिखा, ” परिवार के साथ दगाबाजी मत करना।

पिता के इस पत्र के बाद जिन्ना ने नाटक कंपनी में काम करने का विचार छोड़ दिया । यद्यपि काम छोड़ने के लिए तीन महीने का नोटिस जरूरी था, नाटक कंपनी के मालिक ने जिन्ना को तत्काल छोड़ने की इजाजत दे दी।

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