अंग्रेजी फौज को दिल्ली हारने का सताने लगा डर
1857 की क्रांति: कमांडर निकल्सन के घायल होने से हौसला हारकर और यह समझकर कि बागी विद्रोहियों के कमांडर खां के बाड़ा हिंदू राव तक आने का मतलब था कि वह उसके सिपाहियों को घेर लेगा और अपने कैंप से उनका संपर्क तोड़ देगा, अंग्रेजी फौज के सिपाहियों का मनोबल लगातार और ज्यादा परेशान और हताश होता जा रहा”
अंग्रेज अधिकारी विल्सन अब इस तनाव से टूटने लगा था। अपने सिपाहियों को फौरन शहर से वापस बुलाने से उसे बस उसके अफसरों ने ही रोक रखा था, जिनका नेतृत्व इंजीनियर रिचर्ड बेयर्ड-स्मिथ कर रहा था। जिसने हमले की सारी योजना बनाई थी और अब “इतने सख्त और अटल लहजे में उसने आग्रह किया ‘हमें वहां टिके रहना होगा’ कि और कुछ कहने-सुनने की गुंजाइश ही नहीं रही।
“विल्सन के वरिष्ठ अफसरों में से एक नेविल चैंबरलेन ने चिंता जताते हुए लाहौर में लॉरेंस को लिखा कि विल्सन के पस्त हौसले अकेले ही दिल्ली की लड़ाई हरवा देंगेः “उनका बर्ताव अक्सर एक विजयी सेना का नेतृत्व कर रहे जनरल के बजाय एक पागल आदमी जैसा रहा है। यह साफ जाहिर है, जैसा कि वह अक्सर सबको बताते रहते हैं कि उनका दिमाग खराब हो गया है।
आप इस मामले को संभालिए, वर्ना कुछ भी नहीं हो सकेगा। कभी-कभार के सिवाय जब कोई मुश्किल होती है, जनरल किसी से नहीं मिलते हैं; हर मशवरे पर उनका जवाब होता है, ‘यह नामुमकिन है,’ और वह हमेशा मुश्किलें खड़ी कर देते हैं। एक बार उन्होंने मुझसे कहा कि उनका इरादा है दिल्ली की फतह के बाद वह पहाड़ पर चले जाएंगे, लेकिन अफ़सोस कि वह इस इरादे को पूरा नहीं कर रहे हैं।