होडसन को किसने लिखी गोपनीय चिट्ठी!
1857 की क्रांति: विलियम डेलरिपंल अपनी किताब आखिरी मुगल में लिखते हैं कि एक गुप्त चिट्ठी अंग्रेज अफसर होडसन को 16 अगस्त को मिली। जिसमें लिखा था कि जफर अब बहुत मायूस और अलग-थलग हो गए हैं और शायद अपना दिमागी संतुलन इस हद तक खो बैठे हैं कि अब वह इस काबिल भी नहीं हैं कि सिपाहियों को जाने से रोक सकें।
उन्होंने अपने ख्याल में खुद को क्रांतिकारियों से अलग कर लिया था। “कल दो सौ तिलंगे हथियार लिए और वर्दी पहने घोड़ों पर सवार शहर से बाहर जा रहे थे, तो कुछ सिपाहियों ने उन्हें रोका और किले में उनकी शिकायत भेजी। बादशाह ने उनको दरबार में बुलाया और पूछा कि तुम क्यों जा रहे हो, उन्होंने जवाब दिया कि ‘हमारे बीवी बच्चे हमारी तरफ से परेशान हैं, और वैसे भी यहां कुछ खाने को भी नहीं बचा है, यही हमारे जाने की असली वजह है।’
बादशाह ने उनसे कहा कि वह अपने तमाम हथियार, वर्दी और घोड़ों का सामान छोड़ दें, और फिर उनको जाने दिया। उसके बाद उन्होंने दरबार में ऐलान किया, ‘मुझे कोई परवाह नहीं है कोई जाए या रहे। न मैंने किसी से यहां आने को कहा था और न ही मैं किसी को जाने से रोकता हूं। जो रुकना चाहे वह रुके और जो जाना चाहे वह जाए।
मैंने उनके हथियार इसलिए रोक लिए कि अगर अंग्रेज़ आएं मैं उन्हें उनके हवाले कर सकूंगा। अगर सिपाही चाहें तो वह उनको ले सकते हैं। मुझे इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं है। विलियम डेलरिपंल अपनी किताब आखिरी मुगल में लिखते हैं कि इसलिए कोई ताज्जुब की बात नहीं कि मौलवी मुहम्मद बाकर ने भी जो जफर के सबसे बड़े समर्थक थे, लिखा कि ‘बादशाह सलामत की दिमागी हालत ठीक नहीं है।