सन 1852 में जब अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर अपने हरम के हालात में उलझे हुए थे। ठीक उसी समय ब्रितानिया हुकूमत के गर्वनर जनरल के दिल्ली के एजेंट सर थॉमस मेटकाफअपनी इक्कीस साला बेटी जॉरजीना की जुनूनी मुहब्बत के तूफान को रोकने की कोशिश में मसरूफ था। थॉमस मेटकाफ की मर्जी के खिलाफ जॉरजीना को एक कम उम्र स्कॉटिश फौजी कप्तान सर एडवर्ड कैंपबैल से मुहब्बत हो गई थी। कैंपबैल पहले सर चार्ल्स नेपियर का एडीसी रह चुका था, जो हिंदुस्तान में अंग्रेज़ी फौज का कमांडर-इन-चीफ रहा था और उससे थॉमस मेटकाफ के काफी खराब संबंध रहे थे। और बदकिस्मती यह थी कि कैंपबैल फौज का कप्तान होने के बावजूद बिल्कुल कंगाल था। वह और जीजी एक सुबह कंपनी के मैडिकल अफसर डॉ. ग्रांट के घर में मिले थे। जीजी वहां डॉ. ग्रांट का पियानो ठीक करने गई थी, लेकिन शाम तक वह दोनों साथ-साथ गाने गा रहे थे और किले के गार्ड का कमांडर कैप्टन डगलस उनकी निगरानी कर रहा था।”

जैसे ही सर थॉमस को इस मुहब्बत की दास्तान की ख़बर हुई उसने फ़ौरन दोनों की आपस में खतों के आदान प्रदान पर पाबंदी लगा दी। इस पर बेटी ने भूख हड़ताल कर दी। सर थॉमस अपनी बेटी को लेकर जलवायु की तब्दीली के लिए नए हिल स्टेशन मसूरी चला गया। वह वहां बैठी अपने आशिक के खतों का इंतज़ार करती रही लेकिन वो सभी ख़त उसका बाप पहले ही गायब कर देता था। रात को उसके सोने के लिए चले जाने पर गमगीन जीजी ने अपनी ख़्वाबगाह बंद करके कैंपबैल को लिखा:

“मेरे लिए बहुत मुश्किल है कि में तुम्हारे ख़त आते देखूं, यह जानते हुए कि मैं उन्हें पढ़ भी नहीं पाऊंगी! ओह! एडवर्ड! मुझे कितनी ख़ुशी होगी अगर मैं तुम्हें ख़त लिख सकूं और तुम्हारे खत पढ़ सकूं। हफ्ते में एक छोटा-सा खत भी पढ़ सकूं तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। मेरी समझ में नहीं आता कि कोई इतना बेहिस कैसे हो सकता है और वह भी इस ज़माने में। क्या हम लोगों को एक दूसरे पर भरोसा नहीं है? हां है, और हर बात में है….

थॉमस मेटकाफ जो तैमूर घराने के शाहज़ादों को काबू करने में माहिर था, अब एक इक्कीस साला लड़की के गुम और तकलीफ़ के सामने बेबस था और आखिर वो उसे वहां छोड़कर दिल्ली वापस आ गया जहां से उसने बहुत बेचारगी के आलम में उसे लिखा:

“उम्मीद है कि वहां की खुशगवार जलवायु का तुम पर बहुत अच्छा असर होगा और तुम अपने खाने-पीने का ख्याल रखोगी। यह भी याद रखो कि तुम्हारा बाप तुमसे बहुत मुहब्बत करता है और उसे तुम्हारी जिस्मानी और दिमागी हालत देखकर बहुत रंज है और उसने अगर तुमको कोई भी दुख पहुंचाया है तो वह सिर्फ अपनी बेपनाह मुहब्बत और फर्ज अदायगी की वजह से। इससे ज़्यादा एक बाप कुछ नहीं कर सकता।

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