Bangladesh Liberation War 26 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान ने ‘बांग्लादेश’ के रूप में अपने आपको एक स्वतंत्र देश घोषित किया। इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए। पाकिस्तान ने 3 दिसम्बर, 1971 को पठानकोट हवाई अड्डे पर बमबारी करके लड़ाई की शुरुआत कर दी। भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया। भारत ने 6 दिसम्बर, 1971 को ‘बांग्लादेश’ को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी तो मुक्तिवाहिनी और भारतीय सेना की एक संयुक्त कमान गठित की गई।

भारत ने 8 दिसम्बर, 1971 को बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार को मान्यता दे दी। आत्म-समर्पण की घोषणा 15 दिसम्बर, 1971 को हुई। कुलदीप नैयर अपनी किताब एक जिंदगी काफी नहीं में लिखते हैं कि दुर्भाग्यवश कुछ भारतीय जवान और अधिकारी ढाका के कुछ धनवान घरों में लूटपाट करने के मोह से नहीं बच पाए। इन्दिरा गांधी ने यह सुना तो क्रोध से बिफर पड़ीं। लेकिन उस समय एक दूसरी चिन्ता भी उनके दिलोदिमाग पर हावी थी। ऐसी अफवाहें थीं कि ‘बांग्लादेश विजय’ के बाद अपनी लोकप्रियता को देखते हुए जनरल मानेकशा सरकार का तख्ता पलटने की सोच रहे थे।

मानेकशा ने खुद कुलदीप नैयर को बताया था कि इन्दिरा गांधी ने उन्हें फोन करके इन अफवाहों की सच्चाई जाननी चाही थी। मॉनेकशा उनसे मिलने गए और उन्हें बताया कि ऐसी कोई बात नहीं थी। उन्हें अपना काम करना चाहिए और मॉनेकशॉ को अपना।

पश्चिमी सीमा पर युद्ध-विराम हुआ तो आजाद कश्मीर का 479.96 वर्ग मील इलाका भारत के कब्जे में आ चुका था। पंजाब में 373.93 वर्ग मील और कच्छ और सिन्ध में 476.17 वर्ग मील के पाकिस्तानी इलाके पर भारत का कब्जा हो चुका था।

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