पढ़िए Breakout Stocks शेयरों में क्या है खास, लोग हो जाते हैं मालामाल

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Breakout Stocks: शेयर बाजार में “ब्रेकआउट” (Breakout) एक ऐसी अवधारणा है जो अक्सर चर्चा का विषय बनती है। लेकिन सवाल यह है कि ब्रेकआउट होता क्या है और इसके बाद शेयर क्यों दौड़ने लगते हैं? एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब किसी शेयर की कीमत एक महत्वपूर्ण स्तर (जैसे सपोर्ट या रजिस्टेंस) से ऊपर (या नीचे) निकल जाती है, तो उसे ब्रेकआउट कहा जाता है। ब्रेकआउट आमतौर पर बाजार में तेजी (Bullish Trend) या मंदी (Bearish Trend) के संकेत देता है। आइए जानते हैं ब्रेकआउट के बारे में विस्तार से।

ब्रेकआउट का मतलब क्या है?

ब्रेकआउट तब होता है जब कोई शेयर अपनी रजिस्टेंस (Resistance) या सपोर्ट (Support) स्तर को तोड़ता है। रजिस्टेंस वह स्तर है जहां कीमत बढ़ने के बाद रुक जाती है, जबकि सपोर्ट वह स्तर है जहां कीमत गिरने के बाद रुकती है या पलट जाती है। जब किसी शेयर की कीमत रजिस्टेंस को पार कर जाती है, तो इसे ब्रेकआउट कहा जाता है, जो दर्शाता है कि शेयर में अधिक खरीदारी हो रही है और कीमत तेजी से ऊपर जा सकती है।

ब्रेकआउट क्यों होता है?

बढ़ती मांग (Demand): जब रजिस्टेंस स्तर को तोड़ दिया जाता है, तो इसका मतलब है कि खरीददारों की संख्या बेचने वालों से अधिक हो गई है। इससे शेयर की कीमत तेजी से बढ़ने लगती है।

शॉर्ट कवरिंग (Short Covering): अगर शेयर पर शॉर्ट पोजीशन (Short Selling) ज्यादा है, तो ब्रेकआउट के बाद शॉर्ट सेलर्स अपनी स्थिति को बंद कर लेते हैं, जिससे कीमत और तेजी से बढ़ती है।

ट्रेंड फॉलोइंग (Trend Following): तकनीकी चार्ट्स के आधार पर ट्रेडर्स और संस्थागत निवेशक ब्रेकआउट के बाद शेयर में खरीदारी करते हैं, जिससे कीमत और बढ़ती है।

ब्रेकआउट की पहचान कैसे करें?

ब्रेकआउट की पहचान करने के लिए कुछ प्रमुख संकेतक होते हैं…

चार्ट पैटर्न (Chart Patterns): ब्रेकआउट अक्सर कुछ प्रमुख चार्ट पैटर्न्स जैसे ट्रायएंगल (Triangle), कप एंड हैंडल (Cup & Handle), डबल बॉटम (Double Bottom) आदि के साथ होता है। जब शेयर की कीमत लगातार रजिस्टेंस स्तर के पास रहती है और फिर उसे तोड़ देती है, तो यह ब्रेकआउट का संकेत हो सकता है।

वॉल्यूम एनालिसिस (Volume Analysis): ब्रेकआउट के समय यदि ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ रहा है, तो यह मजबूत ब्रेकआउट का संकेत है। ज्यादा वॉल्यूम यह दर्शाता है कि निवेशक शेयर में बड़ी मात्रा में ट्रेड कर रहे हैं।

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI): RSI और अन्य तकनीकी संकेतक यह पहचानने में मदद करते हैं कि ब्रेकआउट के पीछे बाजार में कितनी ताकत है।

मान लीजिए किसी शेयर का रजिस्टेंस स्तर ₹200 है और वह पिछले कुछ समय से इस स्तर को पार नहीं कर पा रहा है। अचानक, भारी वॉल्यूम के साथ कीमत ₹200 से ऊपर निकलकर ₹210 तक पहुंच जाती है। यह संकेत है कि शेयर में ब्रेकआउट हुआ है, और अब कीमत ₹220, ₹230 या इससे भी ऊपर जा सकती है। अगर ब्रेकआउट असली है, तो यह एक शानदार निवेश अवसर हो सकता है।

ब्रेकआउट शेयरों की लिस्ट…

ACC (2,030 रुपये प्रति शेयर): इस शेयर में 18.2% तक की तेजी की उम्मीद है। सपोर्ट: ₹1,950, ₹1,900 | रजिस्टेंस: ₹2,145, ₹2,180।

LTTS (L&T Technology Services) (5,194 रुपये प्रति शेयर): तिमाही नतीजे अच्छे आने के बाद इस शेयर में 12% तक की तेजी की संभावना है। सपोर्ट: ₹5,090, ₹5,000 | रजिस्टेंस: ₹5,440, ₹5,625

ब्रेकआउट से तेजी क्यों आती है?

जब ब्रेकआउट होता है, तो यह संकेत देता है कि शेयर की कीमत आगे बढ़ने वाली है। इस कारण से भारी खरीदारी होती है और शेयर में तेजी आती है। इसके अलावा, चार्ट पर ट्रेंड फॉलोइंग करने वाले निवेशक भी ब्रेकआउट के बाद शेयर में निवेश करते हैं, जिससे कीमत और बढ़ती है।

बता दें कि, ब्रेकआउट एक अहम संकेतक है जो बाजार में तेजी का संकेत देता है। निवेशकों को इस अवसर का सही तरीके से फायदा उठाना चाहिए और चार्ट्स, वॉल्यूम, और अन्य संकेतकों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।

Q&A:

प्रश्न 1: ब्रेकआउट क्या होता है?

उत्तर: ब्रेकआउट तब होता है जब किसी शेयर की कीमत रजिस्टेंस या सपोर्ट स्तर को तोड़ देती है, जिससे बाजार में नई गति आती है।

प्रश्न 2: ब्रेकआउट की पहचान कैसे करें?

उत्तर: चार्ट पैटर्न, वॉल्यूम एनालिसिस, और तकनीकी संकेतकों जैसे RSI की मदद से ब्रेकआउट की पहचान की जा सकती है।

प्रश्न 3: ब्रेकआउट के बाद शेयर क्यों बढ़ते हैं?

उत्तर: ब्रेकआउट से बढ़ती मांग, शॉर्ट कवरिंग और ट्रेंड फॉलोइंग जैसे कारकों के कारण शेयर की कीमत तेजी से बढ़ती है।


प्रश्न 4: ब्रेकआउट शेयरों की लिस्टिंग के फायदे क्या हैं?

उत्तर: ब्रेकआउट शेयरों की लिस्टिंग निवेशकों को संभावित उच्च रिटर्न वाले अवसरों की जानकारी देती है।

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