शाह आलम बहादुर शाह की कब्र (1712 ई.)

महरौली में कुतुब साहब की दरगाह में मोती मस्जिद के साथ शाह आलम की कब्र है, जिसकी मृत्यु 1712 ई. में हुई। यह औरंगजेब का सबसे बड़ा लड़का था और आलमगीर की मृत्यु के बाद तख्त के दावेदारों में सबसे योग्य यही था। इसने सिखों और मराठों को भी उभरने न दिया।

मुगलिया सल्तनत इसी के जमाने तक टिकी रही। इसके बाद उसका जवाल शुरू हो गया। सत्तर बरस छह महीने की उम्र में इसका इंतकाल हुआ। इसके मकबरे को इसके लड़के जहांदार शाह ने बनवाया, जिसकी लंबाई 18 फुट और चौड़ाई साढ़े 14 फुट 6 इंच है। चौगिर्दा संगमरमर के जिले और जालियां लगी हुई हैं। जहांदार शाह खुद हुमायूं के मकबरे में दफन किए गए। शाह आलम सानी और मोहम्मद अकबर सानी- दोनों इसी जगह दफन किए गए। इस अहाते में पांच कब्रें हैं-

1. अकबर शाह सानी, 2. शाह आलम सानी, 3. खाली, जो बहादुर शाह जफर ने अपने लिए रखवाई थी, 4. बहादुर शाह पिसर आलमगीर सानी, और 5. मिर्जा फखरू वलीअहद, जिनकी मृत्यु हैजे से हुई थी। शाह आलम के बाद जहांगीर शाह 1712 ई. में तख्त पर बैठे, मगर चंद महीने ही रहे। इनके बाद फर्रुखसियर आए, जो 1713 से 1719 ई. तक रहे। फर्रुखसियर ने महरौली में ख्वाजा साहब की दरगाह में एक मस्जिद बनवाई थी।

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