लीना ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बयां किया अपना दर्द
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
leena chandavarkar: बालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर के लिए दिवाली का त्योहार मनाना बहुत मुश्किल होता है। दीपावली हमेशा लीना चंद्रावरकर के लिए बहुत मुश्किल हालात हमेशा लेकर आई। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मेरी मां का निधन बीमारी से हो गया। मेरे भाई अनिल चंद्राकर ने दीपावली के आसपास खुदकुशी कर ली। मैंने अपने पतियों सिद्धार्थ बंडूर और किशोर जी को भी दीपावली के आसपास ही खोया। इसलिए यह त्योहार मुझे हमेशा उदासी से भर देता है।
अपने पहले पति सिद्धार्थ के साथ बिताए 11 महीनों को याद करते हुए लीना इंटरव्यू में बताती हैं कि सिद्धार्थ के जन्म से पहले मेरी सास ने सात बेटों को खो दिया था। सिद्धार्थ का जन्म बहुत मिन्नतों के बाद हुआ था। सास को पांच बेटिया थी। उन्हें सपने में एक कोबरा दिखाई देता था, लेकिन जब सिद्धार्थ का जन्म होने वाला था तो उन्होंने एक भी नहीं देखा।
लेकिन हमारी शादी से छ महीने पहले उन्होंने एक बार फिर वह कोबरा देखा और हम अपने हनीमून के लिए निकलने ही वाले थे कि 18 दिसंबर को सिद्धार्थ को गलती से रिवॉल्वर साफ करते समय गोली लग गई। और फिर शुरू हुआ 11 महीने का दर्दनाक अनुभव उसे जसलोक हॉस्पिटल ले जाए गया। जहां वह छ महीनों तक रहा। गोली उसके पेट में घुस गई थी और उन्हें उसकी तिल्ली निकालनी पड़ी।
उन महीनों में सिद्धार्थ और मैं बहुत करीब आ गए हम पति-पत्नी से ज्यादा दोस्त की तरह थे। लीना इस इंटरव्यू में आगे कहती है कि अगर वह अपनी मां को आई कहता था तो मुझे मामा कहता था, क्योंकि मैं उसका ख्याल ऐसे रखती थी जैसे कोई बच्चा हो।
मैं उसका वजन देखती रहती और अगर उसका एक किलो भी वजन बढ़ता तो मैं बहुत खुश होती और अगर उसका कुछ ग्राम वजन कम होता तो मैं दुखी हो जाती। डॉक्टर मुझे सावित्री कहते थे। लीना आगे बताती है कि लोग कहते थे कि मैं मांगलिक हूं इसलिए मैंने सिद्धार्थ की मां से कहा कि जब वो ठीक हो जाएगा तो हम उसकी दूसरी शादी करवा देंगे, क्योंकि मैं उसके लिए शुभ नहीं हूं लेकिन उन्होंने जवाब दिया क्या मैं अपने सात बेटों के लिए तुम्हें जिम्मेदार ठहरा रही हूं। जो जन्म लेते ही मर गए या जन्म लेने से पहले ही।
जब सिद्धार्थ की हालत में सुधार हुआ तो उसे गोवा भेज दिया गया।
उन्होंने बताया है कि उसकी मांसपेशी ठीक से काम नहीं कर रही थी मांसपेशियां और आंतों में रुकावट पैदा हो रही थी क्योंकि गोली लगी थी। 21 अक्टूबर को उसके जन्मदिन पर सिद्धार्थ को फिर से हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। वह बोल नहीं सकता था, क्योंकि उसके पूरे शरीर में नलिया लगी हुई थी। वह कुछ बोलने के लिए नोट लिखता था।
वह लिखकर डॉक्टरों से मजाक करता था कि अब क्या फेफड़े भी निकालो। मजे की बात यह थी कि सिद्धार्थ किशोर कुमार का बहुत बड़ा प्रशंसक था। वॉर्ड बॉय में से एक का नाम जीवन था और वह उसके लिए पिया का घर फिल्म में गाना था यह जीवन है यह हमेशा गाया करता था।
यह तमाम बातें लीना चंद्राकर अपने इंटरव्यू में कहती हैं और लीना उस दिन को भी याद करती हैं वह कहती कि सिद्धार्थ की मौत आसान नहीं थी उसका खून बहता रहा लेकिन वह अपने मजबूत इच्छा शक्ति की वजह से बच रहा था! डॉक्टर उसे मेडिकल छात्रों के लिए इच्छा शक्ति के उदाहरण के रूप में पेश करते थे!
उन्होंने हमसे अनुरोध किया था कि हम उनके सामने ना रोए क्योंकि वह बहुत पीड़ित था एक दिन उसने लिख दिया कि मैं वापस आऊंगा और फिर 7 नवंबर 1976 को सिद्धार्थ का निधन हो गया। सिद्धार्थ के निधन के बाद लीना के माता-पिता उन्हें वापस धारवाड़ ले गए जहां उन्हें लगा कि वो ठीक हो जाएंगी। लेकिन यह आसान नहीं था। रिश्तेदार उन्हें ताना मारते थे। 1979 में वो मुंबई लौट गई और यहीं किशोर कुमार से मुलाकात हुई।
वो कहती कि एक दिन उनका ड्राइवर अब्दुल घर आया और मुझे किशोर जी का नंबर दिया और फिर मुझे कॉल करने के लिए कहा। जब मैंने किया तो उन्होंने तुरंत फोन उठाया और कहा लीना मैं तुम्हें तुमसे सुनने का इंतजार कर रहा था। किशोर ने लीना को कुछ स्क्रिप्ट सुनाई और उन्होंने ‘प्यार अजनबी है’ पर काम करना शुरू कर दिया।
वो कहती कि हर सुबह वो मुझे कॉल करते और बिना अपना परिचय दिए बात करना शुरू कर देते। वह मुझे बहुत हंसाते थे मेरे पिता ने मुझ में कुछ बदलाव भी नोटिस किया। जब मैं किशोर कुमार के साथ फिल्में वगैरह प्लान करने लगी।
लीना कहती कि एक शाम जब किशोर कुमार ने मुझे फोन किया तो वह कुछ उदास लग रहे थे तो उन्होंने कहा कि मैं सिंह राशि का हूं और जब मेरा शासक गृह सूर्य अस्त होता है तो मुझे उदासी और अकेलेपन का एहसास होता है। मैंने जो कश्मीरी पुलाव बनाया था उसे दिया उन्होंने मुझे कॉल किया और कहा यह बहुत बढ़िया था। एक दिन उन्होंने उनके लिए मेरे दिल में आज क्या है गाना भी गाया। जिसे बहुत ज्यादा नहीं पढ़ा था तब। कुछ दिनों के बाद उन्होंने कहा अगर तुम फिर से घर बसाने के बारे में सोचोगी तो कृपया मेरे प्रस्ताव पर विचार करो।
लीना कहती कि यह सुनते ही मैं चौक गई और मैंने उनसे कहा कि शादी के लिए एक आकस्मिक बात हो सकती है। लेकिन मैं अभी भी सिद्धार्थ को भूली नहीं हूं। तो उन्होंने कहा कि अच्छा कैंसिल कर दो उसके बाद उन्होंने कभी शादी का जिक्र नहीं किया। हमारे बीच सिर्फ प्रोफेशनल बातें होती थी लीना आगे कहती है कि मुझे उनसे तुरंत प्यार नहीं हुआ, लेकिन जब मैं उनके साथ होती थी तो मैं सुरक्षित महसूस करती थी। वह अपने कर्मचारियों के साथ बहुत दयालु थे और मुझे आश्चर्य होता था कि उन्हें कंजूस क्यों कहा जाता था। उनमें कोई छिछोरापन नहीं था वो शराब नहीं पीते थे।
बकौल लीना मुझे उनके अंदर का वह बच्चा पसंद था जो बारिश में खुश रहता था जो प्रकृति को देखकर रोमांचित होता था। उनकी दुनिया सपनों की दुनिया थी और वो उस दुनिया में रहना पसंद करते थे। एक बार वह दिल्ली के एक बाजार में गए जहां उन्होंने मसूर की दाल देखी तो तुरंत बोले चलो मसूरी चलते हैं और मुझे यह जिप्सी जो लाइफ स्टाइल होता है जिप्सी में घूम के यह सब मुझे बहुत पसंद था। तो मुझे ऐसी जिंदगी की जरूरत थी उन्हें उनका दार्शनिक पक्ष भी पसंद आया और एक बार वह होटल में पौधों को पानी दे रहे थे तो मैंने उनसे कहा कि कल हम चलेंगे क्या। फिर क्या उन्होंने कहा तुम जहां भी हो उसे अपना बना लो क्योंकि असल में कुछ भी तुम्हारा नहीं है। और बड़ी-बड़ी बातें किशोर कुमार इस तरीके से बहुत ही बचकाने उसमें या मजाकिया कह जाते थे और जब उन्होंने आखिरकार उनसे शादी का मन बना लिया। तो सब कुछ बिगड़ गया मेरे पिता ने कहा कि उसकी पहले ही तीन शादी हो चुकी है वह तुम्हारे कमजोर दिमाग का फायदा उठा रहा है मुझे लगा कि वह एक फरिश्ता है लेकिन वह एक जादूगर भी है। तुम्हारे जीवन की शाम में तुम अकेली रह जाओगी यानी कि उम्र का जो फासला है किशोर कुमार और मेरे बीच में इसका जिक्र वो कर रहे थे।
पिता मेरे और नाराज हो फिर वो लोग अपने वापस घर चले गए कर्नाटक। किशोर जी ने एक दिन कहा कि चलो एक चर्च में शादी करते हैं और यहां तक की मेरे लिए ओपेरा स्टाइल में पूरी रस्म भी निभाई तो मैं चिढ़ गई। मैं गुस्से में थी तो मैंने फोन पटक दिया लेकिन बाद में उन्होंने समझाया कि तुरंत शादी नहीं कर सकते। क्योंकि योग्यता बाली से उनका तलाक नहीं हुआ था।
जब हुआ तो उन्होंने कहा कि धारवाड़ में मेरे माता-पिता का आशीर्वाद लिए बिना वो शादी नहीं करेंगे और उन्हें वहां देखकर लीना के भाई ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। लेकिन उनके पिता ने बाहर आने से इंकार कर दिया। वो कहती हैं किशोर जी अपने हारमोनियम के साथ चटाई पर बैठ गए और गाना शुरू कर दिया। उन्होंने केल सहगल के ‘मैं क्या जानू क्या जादू है’ से शुरुआत की और फिर अपने ही गाने दुखी मन मेरे फंटूश फिल्म का या फिर जिंदगी का सफर सफर फिल्म का और बाकी गाने इस तरीके से वो गाते रहे।
आखिरकार उन्होंने गाया ‘नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दूं’ यह गाना उन्होंने मेरे पापा के सामने गाया। लीना कहती है और पापा बहुत गंभीर देखते हुए बाहर आए और फिर अचानक मुस्कुराए और उनसे कहा कि वह दोस्त बन गए और फिर उसके बाद फिल्मों पर चर्चा होने लगी और फिर मान गए।
किशोर जी ने मुझे कभी भी मुझसे आई लव यू नहीं कहा और उन्होंने कहा कि यह कहने की नहीं बल्कि महसूस करने की चीज है। जब दोनों के बेटे सुमित का जन्म हुआ। लीना कहती तो मैंने अस्पताल में उनकी कार की आवाज सुनी तो मैंने जल्दी से लिपस्टिक लगा ली, नर्स ने पूछा कि तुम प्रेमी हो या पति पत्नी। फिर मुझे जिंदगी में हारने का डर था यह कहते हुए वह मुस्कुरा दी और जब साढ़े सात साल तक हम लोग साथ रहे। 13 अक्टूबर की वह सुबह जिस दिन 1987 में उनका निधन हुआ था, वो पीले और गहरी नींद में दिख रहे थे। रंग एकदम उनका पीला गया तो, जैसे ही मैं उनके पास गई वह जग गए और पूछा क्या तुम्हें डर लग रहा है।
आज मेरी छुट्टी है उस दिन घर पर उनकी कई मीटिंग थी। दोपहर के खाने के दौरान उन्होंने मुझसे कहा कि हम शाम को रिवर ऑफ नो रिटर्न फिल्म देखेंगे और थोड़ी देर बाद मैंने उससे अगले कमरे में फर्नीचर हिलाते हुए सुना। और जब मैं देखने गई कि क्या हो रहा है तो मैंने देखा कि वो बिस्तर पर लेटे हुए हैं, घबराए हुए हैं, और उन्होंने कहा कि मुझे कमजोरी लग रही है मैं डॉक्टर को बुलाने के लिए दौड़ी तो गुस्सा हो गए और बोले अगर आप डॉक्टर को बुलाएंगे तो मुझे दिल का दौरा पड़ जाएगा। यह उनकी आखिरी लाइनें थी उनकी आंखें खुली हुई थी और वह सांस ले रहे थे और मुझे लगा कि हमेशा की तरह मजाक कर रहे हैं, लेकिन वह मजाक नहीं था वह सच था।
उन्होंने मुझे हमेशा के लिए छोड़ दिया यह कहते कहते लीना चंद्रावरकर भावुक हो जाती है। और दूसरी बार विधवा होने का गम उन्हें अंदर ही अंदर कचोट लगता है। इस इंटरव्यू में लीना ने अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलकर बात की लेकिन आखिर में जब उनकी फिल्मों की बात हुई तो उन्होंने कहा कि राजेश खन्ना के साथ जो फिल्म महबूब की मेहंदी की थी वह मुझे बहुत अच्छी लगी थी राजेश खन्ना के साथ काम करना मुझे बहुत पसंद आया राजेश खन्ना के व्यवहार के बारे में जब उनसे बात की गई कि उनको व्यवहार उनका अच्छा नहीं बताते थे और काफी एटीट्यूड था उनके अंदर देर से आते थे उन्होंने कहा वह सारी बातें हो सकती हैं लेकिन किशोर जी के साथ उनके रिलेशन बहुत अच्छे थे इसलिए मैं राजेश खन्ना को बहुत पसंद करती थी!