लाल बहादुर शास्त्री के पार्टी गतिविधियों में लगने के बाद गुलजारी लाल नंदा बने थे गृहमंत्री

गुलजारीलाल नंदा का जन्म 4 जुलाई, 1898, सियालकोट, पंजाब में हुआ था। इनका निधन 15 जनवरी, 1998 में अहमदाबाद, गुजरात में हुआ। गुलजारी लाल नंदा की छवि ईमानदार राजनेता की रही। 1964 में दो बार अंतरिम प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु और 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु पर। नंदा दोनों प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल के सदस्य थे, जिन्हें वे सफल हुए, और उन्हें श्रम मुद्दों पर उनके काम के लिए जाना जाता था।  उन्होंने 1920-21 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से  श्रम समस्याओं पर एक शोध विद्वान के रूप में काम किया और 1921 में नेशनल कॉलेज (बॉम्बे) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। वे उसी वर्ष असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। 1922 में, वे अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन के सचिव बने, जिसमें उन्होंने 1946 तक काम किया। 1932 में सत्याग्रह के लिए उन्हें और फिर 1942 से 44 तक जेल में रखा गया।  

इनका राजनीतिक सफर भी दिलचस्प रहा। इनसे जुड़ी एक कहानी आज आपको बताते हैं।

घड़ी पर टिकीं थी निगाहें

कुलदीप नैयर ने यह किस्सा अपनी किताब में साझा किया है। चूंकि वो उस समय मंत्रालय में कार्यरत थे। गुलजारी लाल नन्दा के ज्योतिषियों ने उन्हें पदभार ग्रहण करने को लेकर सलाह दी थी। नन्दा ने अपनी नियुक्ति के कागजों पर दस्तखत करने के लिए 11.55 का समय चुना था। पूरा उपक्रम काफी हास्यास्पद-सा प्रतीत हो रहा था। गृह सचिव समेत हर कोई अपनी घड़ी की सुइयों पर नजरें टिकाए हुए थे, कि कब 11.55 बजें और नए गृहमंत्री कागजों पर दस्तखत करें। नन्दा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बड़ी गम्भीर बातचीत में मगन होने का उपक्रम कर रहे थे, लेकिन उनकी नजरें बार-बार अपनी घड़ी की सुइयों की तरफ मुड़ जाती थीं। कुलदीप नैयर लिखते हैं कि उन्होने देखा कि कमरे में एक आधिकारिक फोटोग्राफर भी मौजूद था। जैसे ही 11.55 की शुभ घड़ी आई, नन्दा ने अपने सामने पड़े कागजों पर दस्तखत कर दिए और हर किसी ने राहत की सांस ली।

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