परिवारिक झंझावातों को झेलते हुए देश की आजादी में अहम योगदान
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
motilal nehru biography in hindi: पंडित मोतीलाल नेहरू एक प्रतिष्ठित वकील, मुखर वक्ता, विख्यात सांसद और गांधी युग में भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन की एक प्रख्यात हस्ती थे।
जन्म एवं प्रारंभिक शिक्षा
उनका जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था। उनके पूर्वज कश्मीरी थे परन्तु वे 18वीं शताब्दी के शुरू में ही दिल्ली आकर बस गए थे।
मोतीलाल नेहरू ने अपना बचपन खेतड़ी, राजस्थान में बिताया। बाद में यह परिवार इलाहाबाद चला गया। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा कानपुर से उत्तीर्ण की और म्योर सेन्ट्रल कालेज, इलाहाबाद में प्रवेश लिया।
वर्ष 1883 में वकील परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् मोतीलाल नेहरू ने कानपुर में वकालत शुरू की, परन्तु तीन वर्ष बाद ही वह इलाहाबाद चले गए जहां उच्च न्यायालय में उनके भाई नन्दलाल एक प्रतिष्ठित वकील थे। दुर्भाग्यवश, अप्रैल 1887 में 42 वर्ष की आयु में नन्दलाल का निधन हो गया।
उनके परिवार में पांच पुत्र और दो पुत्रियां थीं। पच्चीस वर्ष की आयु में ही मोतीलाल इतने बड़े परिवार के मुखिया बन गये जिसके भरण-पोषण का दायित्व अंततः उन पर आ पड़ा।
भाई की मृत्यु से न केवल मोतीलाल नेहरू का दायित्व बढ़ गया, बल्कि इससे उनमें अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने की भी उत्कट भावना पैदा हो गई।
उनका वकालत का काम अच्छा चलने लगा। उनका जीवन स्तर ऊंचा उठता जा रहा था और साथ ही उन पर निरंतर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव पड़ता जा रहा था।
राजनीतिक योगदान
शुरू में राजनीति से मोतीलाल नेहरू का संबंध अनिच्छा से, अल्पकाल के लिए तथा यदा-कदा ही रहा। उन्होंने कांग्रेस के 1888 के इलाहाबाद अधिवेशन में भाग लिया था।
वर्ष 1907 में उन्होंने इलाहाबाद में नरम दल राजनीतिज्ञों के एक प्रांतीय सम्मेलन को अध्यक्षता की। उनका अध्यक्षीय भाषण गरम दल विचारधारा पर कड़ा प्रहार था। वर्ष 1909 में वाह उत्तर प्रदेश परिषद के सदस्य चुने गये।
बाद में वह इलाहाबाद नगरपालिका बोर्ड और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य बने। वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वह होम रूल लीग की इलाहाबाद शाखा के अध्यक्ष बने।

नरम दल का साथ छोड़ा
अगस्त 1918 में उन्होंने संवैधानिक मुद्दे पर अपने नरम दल के दोस्तों का साथ छोड़ दिया तथा बम्बई कांग्रेस में भाग लिया जिसमें मोन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों में क्रांतिकारी परिवर्तनों की मांग की गई।
5 फरवरी 1919 को पंडित मोतीलाल नेहरू ने ‘द इंडिपेंडेंट’ नामक एक नया दैनिक समाचारपत्र शुरू किया जो ‘भारत के लिए होम रूल’ का समर्थक था।
इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार और अयोग्यता का पर्दाफाश करना और उन पर प्रहार करना था। वर्ष 1919 में अमृतसर में जलियांवाला बाग नरसंहार, जिसके पश्चात् मार्शल लॉ लगा दिया गया, ने ब्रिटिश शासन में उनकी आस्था समाप्त कर दी और उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में कूदने का निर्णय लिया।
उन्होंने दिसम्बर 1919 में अमृतसर अधिवेशन की अध्यक्षता की। वही एकमात्र ऐसे अग्रणी नेता थे जिन्होंने सितम्बर 1920 में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का समर्थन किया था।
ब्रितानिया हुकूमत ने किया गिरफ्तार
दिनांक 6 दिसम्बर 1921 को पंडित मोतीलाल नेहरू गिरफ्तार किए गए और उन्हें छह महीने कैद की सजा हुई।
वर्ष 1922 के ग्रीष्मकाल में जब वह जेल से बाहर आए तो उन्होंने देखा कि सविनय अवज्ञा आंदोलन धीमा पड़ गया है और महसूस किया कि “असहयोग” कार्यक्रम में संशोधन करने का समय आ गया है।
मोतीलाल नेहरू और सी.आर. दास ने जनवरी 1923 में स्वराज पार्टी की स्थापना की और 1923 के अंत में चुनाव लड़े।
स्वराज पार्टी सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली तथा कुछ प्रोविंशियल लेजिस्लेचरों में चुनावों में जीतकर आई सबसे बड़ी पार्टी थी।
अगले छह वर्षों के दौरान मोतीलाल नेहरू ने लेजिस्लेटिव असेम्बली में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व, तीक्ष्ण बुद्धि, कानून के गहन ज्ञान, प्रतिभाशाली अधिवक्ता होने, हाजिरजवाबों और संघर्ष के सामध्ये के कारण संभवतः वह संसदीय भूमिका के लिए सर्वोत्तम व्यक्ति थे।

नेहरू रिपोर्ट से सम्प्रदायिक समस्या को हल करने का प्रयास
वर्ष 1927 के अंत में साइमन कमीशन को नियुक्ति से देश में पुनः राजनीतिक जागृति पैदा हुई। कमीशन से भारतीयों को बाहर रखे जाने के कारण सभी भारतीय दल सरकार के विरुद्ध एकजुट हो गये।
कांग्रेस अध्यक्ष, डॉ. एम.ए. अंसारी द्वारा एक सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया गया और मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल सिद्धांत निश्चित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया।
नेहरू रिपोर्ट के नाम से विख्यात इस समिति की रिपोर्ट में साम्प्रदायिक समस्या को हल करने का प्रयास किया गया था।
विधानमंडल के लिए एक स्वतंत्र सचिवालय को आवश्यकता वर्ष 1921 में विधान सभा की प्रथम बैठक के समय से ही महसूस की जा रही थी। दिनांक 22 सितम्बर 1928 को पंडित मोतीलाल नेहरू ने सभा में एक संकल्प प्रस्तुत किया था जिसमें एक पृथक सभा विभाग के गठन की मांग की गई थी।
पंडित मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत संकल्प सभा द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया। वास्तव में यह संकल्प “सभा विभाग के सृजन और अधिकारों का माध्यम बना”।
साम्प्रदायिक सदभाव और एकता पर बल
भोतीलाल नेहरू ने साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता पर अत्यधिक बल दिया। मोतीलाल उस एकता सम्मेलन के अध्यक्ष थे जिसमें 26 सितम्बर 1924 को यह संकल्प पारित किया गया था कि अन्तःकरण और धर्म के बारे में पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए।
किसी धर्म के पूजास्थलों को अपवित्र करने और किसी भी धर्म को अपनाने या धर्मपरिवर्तन के लिए किसी भी व्यक्ति को दण्ड देने की भर्त्सना की जाए।
मोतीलाल किसी मिथ्या धारणा के कारण नहीं बल्कि अत्यंत विवेकशील होने के कारण सुधारवाद के प्रवल समर्थक थे। मोतीलाल नेहरू का भारतीय संस्कृति और उसको वैचारिक स्वतंत्रता, लोगों और दूसरे राष्ट्रों के घावों को भरने की इसकी क्षमता में गहरा विश्वास था।
मोतीलाल नेहरू ने जीवनपर्यंत सभ्यता के प्रति ईमानदार रहते हुए मानव गरिमा के प्रति सम्मान और भाईचारे की भावना के गुणों का परिचय दिया।
इलाहाबाद की गलियों में बेचा खद्दर
पंडित मोतीलाल नेहरू को विशेषताएं व उपलब्धियां, उनके नेतृत्व के गुण और सहज मानवीयता, उनको सहनशीलता व दृढ़ता, उनके संकल्प और सामर्थ्य तथा साहस व तेज ने देश के सार्वजनिक जीवन पर अमिट छाप छोड़ी है।
राजनेतिक कार्यकर्ताओं के लिए सूत कातना व खदर बुनना अनिवार्य था। मोतीलाल नेहरू ने भी
अपना विदेशी पहनावा उतार फेंका और भारतीय वेशभूषा में खद्दर पहनना शुरू कर दिया।
उन्होंने इलाहाबाद की गलियों में घूम-घूम कर खद्दर भी बेचा। उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया और कई बार जेल गये।
मित्रों के समक्ष त्यागे प्राण
कष्टप्रद जेल जीवन और कांग्रेस के नेता के रूप में उत्तरदायित्व के भारी बोझ के कारण पंडित मोतीलाल नेहरू स्वास्थ्य संबंधी कतिपय रोगों से ग्रस्त हो गए।
दिनांक 6 फरवरी 1931 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस बहादुर सिपाही ने अपने मित्रों व संबंधियों के समक्ष प्राण त्याग दिये।
समूचे राष्ट्र ने इस महान विभूति के दुःखद निधन पर शोक व्यक्त किया जिन्होंने राष्ट्र को शीघ्र पूर्ण डोमिनियन दर्जा दिलाने हेतु कड़ा संघर्ष किया था।
अंत्येष्टि के उपरान्त महात्मा गांधी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवाओं का स्मरण करते हुए गांधीजी ने कहा:
…… पंडित जी एक नायक और महान योद्धा थे। उन्होंने देश की तो अनेक लड़ाइयां लड़ी हीं, साथ ही उन्होंने यमराज के साथ भी कड़ा संघर्ष किया। वास्तव में, पंडित जो इस लड़ाई में भी सफल हुए….। कल ही मैंने पंडित मोतीलाल से कहा था कि ‘जैसे ही आप स्वस्थ हो जायेंगे, मैं आपको स्वराज दिला दूंगा’।
पंडित मोतीलाल नेहरू को भावभीनी ब्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में सदन के नेता, सर जार्ज रेनी ने कहा:
“पंडित मोतीलाल नेहरू के निधन से भारत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनका…. देश के सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान था। जहां तक उनकी नीतियों और उपलब्धियों का संबंध है यह अध्याय तो अब समाप्त हो गया है और उनके कार्य-कलापों का लेखा जाखा भी सील हो गया है जिसका मूल्यांकन इतिहास करेगा।”
विधि के क्षेत्र में पंडित मोतीलाल नेहरू के योगदान का उल्लेख करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, सर एडवर्ड ग्रिमवुड मियर्स ने कहा थाः
…….. वह प्रतिभा के धनी थे। वह बड़ी सरलता से किसी भी बात को समझ लेते थे तथा एक वकील के रूप में अपने मुकदमों को बड़े ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करने की कला उनमें विद्यमान थी। तथ्य निरूपण करते समय वह प्रत्येक तथ्य को यथोचित स्थान पर रखते थे और वहीं जोर देते थे जहां जोर देना उपयुक्त होता था। उनके बोलने का ढंग इतना आकर्षक और कर्णप्रिय था कि उन्हें सुनने में आनन्द आता था….
यह भी पढ़ें:-
महात्मा गांधी की जीवनी,mahatma gandhi biography in hindi
विनायक दामोदर सावरकर का जीवन परिचय
कर्पूरी ठाकुर की जीवनी: Karpoori Thakur Biography Hindi
उषा उथुप की जीवनी Usha Uthup Biography in Hindi
इसरो चीफ़ डॉ एस सोमनाथ का जीवन परिचय
अमजद अली खान की जीवनी, ustad Amjad Ali khan biography
उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खां की जीवनी, Ustad Abdul Halim Jaffer Khan biography
अन्नपूर्णा देवी जीवनी, Annapurna devi biography
अनिल बिस्वास की जीवनी, Anil Biswas biography in hindi
सरदार स्वर्ण सिंह की जीवनी, Sardar Swaran Singh biography in Hindi
Amir Khusrau,अमीर खुसरो की जीवनी
उस्ताद अमीर खां की जीवनी, ustad amir khan biography
khan sir biography,खान सर की जीवनी
मयंक यादव की जीवनी, Mayank Yadav biography
यह भी पढ़ें-
- Tata Altroz Facelift 2025: लॉन्च से पहले जानिए हर वेरिएंट में क्या है खास
- AICTE: युवा इनोवेटर्स के लिए लांच किया गया एआईसीटीई प्रोडक्टाइजेशन फेलोशिप (एपीएफ)
- Hyundai Creta Electric: अब बिजली से चलेगी भारत की पसंदीदा SUV
- Who is Lt General Rajiv Ghai? जानिए Indian Army DGMO के शिक्षा, करियर समेत Operation Sindoor में अहम रोल
- Air Marshal A.K. Bharti biography: Education, Career, Awards, Honors जानिए