पंडित जवाहर लाल नेहरू (jawaharlal nehru) से जुड़े कई किस्से राजनीतिक गलियारों में कहे और सुनाए जाते हैं। सियासी किस्सों को आप तक पहुंचाने की हमारी कोशिश है। इसी कड़ी में नेहरू से जुड़ा एक किस्सा आपको पढ़ाते हैं। एक बार नेहरू की तबियत काफी बिगड़ गई थी। तबियत संभलने में काफी समय लग गया। जैसे जैसे दिन गुजरते अटकलों का दौर परवान चढ़ने लगा। बीमारी को लेकर पूरी दुनिया में अफवाह फैल रही थी। कहा जाने लगा कि नेहरू बहुत ज्यादा बीमार थे।

कुलदीप नैयर लिखते हैं कि एक दिन नेहरू से जुड़ा व्यक्ति छुट्टी पर गया तो उन्हेें एक हफ्ते के लिए उनके सूचना अधिकारी का भी काम करना पड़ा। कुलदीप नैयर ने नेहरू के चेहरे के उस तरफ से कुछ चित्र खिंचवाए जिधर से वे ज्यादा स्वस्थ दिखते थे और इन्हें अखवारों को जारी कर दिया। इससे अफवाहों को खत्म करने में मदद मिली। हालांकि कुलदीप ने लिखा कि उन्हें समझ आ गया था कि उस दौरे से उन्हें बहुत गहरा झटका लगा था और शायद वे ज्यादा दिनों तक हमारे बीच नहीं रहेंगे।

खैर, किस्सा यह है कि सर्दियों के दिन थे। ‘भारत सेवक समाज’ ने नेहरू से अनुरोध किया कि वे रात को फुटपाथ पर सोने वालों को कम्बल बांटते में उनका हाथ बंटाएं। नेहरू इस नेक काम के लिए झट से तैयार हो गए और उस रात फुटपाथ पर ठिठुर रहे कुछ लोगों को उन्होंने अपने हाथ से कम्बल ओढ़ाए। मुझे याद है कि इन लोगों की हालत देखकर नेहरू ने कहा था, “ये लोग बगावत क्यों नहीं करते?”

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