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रेगिस्तान, बीयर और Amitabh Bachchan की शरारत– ऐसा किस्सा आपने पहले नहीं सुना होगा!

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अमिताभ बच्चन ने रेत के अंदर छिपा दी थी इस बड़े अभिनेता की बीयर

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Amitabh Bachchan की पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी की शूटिंग गोवा में हुई थी। उनकी दूसरी फिल्म थी रेशमा और शेरा, इस फिल्म की शूटिंग राजस्थान के जैसलमेर में हुई थी। जैसलमेर में पूरी यूनिट को रेगिस्तान में गड़े तंबुओं में कई दिनों तक एक साथ रहना पड़ा।

इस फिल्म में अमिताभ बच्चन एक गूंगे का किरदार निभा रहे थे। राखी ने एक इंटरव्यू में बताया कि अमिताभ शूटिंग के दरम्यान बहुत शरारत करते थे। पूरी यूनिट को खूब हंसाते थे। आज फिल्म से जुड़ा एक और किस्सा हम आपको बताते हैं।  

फिल्म में अमिताभ के अपोजिट यानी विरोधी कबीले के सरदार की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अभिनेता के.एन. सिंह बियर के शौकीन थे। वे वियर की बहुत-सी बोतलें रेत में दवाकर रख देते और शूटिंग के बाद उनका मजा लेते। एक दिन अमिताभ ने उनकी बियर की बोतलें छिपी हुई जगह से निकालीं और किसी दूसरी जगह छिपा दीं।

शूटिंग के बाद के. एन. सिंह कभी यहाँ तो कभी वहां रेत खोद-खोद कर देखते रहे और अपनी बियर की बोतलें ढूँढ़ते रहे। उन्हें बहुत परेशान कर लेने के बाद ही अमिताभ ने उन्हें बताया कि उन्होंने उनकी बियर की बोतलें कहाँ छिपाई हैं।

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उनकी ये शरारतें देखकर यूनिट के सदस्य सोचते थे कि अमिताभ फिल्मों में अपने कैरियर को लेकर गंभीर नहीं थे, क्योंकि वे दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से जुड़े हुए थे। वे उनकी बजाय रंजीत में कहीं ज्यादा संभावनाएँ देख रहे थे। लेकिन फिल्म के ‘रशेज’ ने उन सभी को गलत साबित कर दिया था।

‘रेशमा और शेरा’ एक ऐसी फिल्म थी जिसे फ्लॉप नहीं होना चाहिए था। लेकिन दुर्भाग्यवश कलात्मकता और व्यावसायिकता के बीच एक सही संतुलन न बैठ पाने के कारण इसकी असफलता को टाला भी नहीं जा सकता था। फिल्म कई जगह बहुत सुस्त रफ्तार और उबाऊ ढंग से चलती थी तो कई जगह बहुत रोचक और प्रभावशाली वन पड़ी थी।

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संभवतः यह दो निर्देशकों का फर्क था। फिल्म का गीत-संगीत इसका सबसे कमजोर पहलू था-एक तरफ ‘तू चंदा मैं चाँदनी, तू तरुवर में पात रे’ जैसे रूखे और काव्यात्मक गीत थे, तो दूसरी तरफ ‘इक तो ये भरपूर जवानी उस पर ये तन्हाई, मेरी तौबा’ जैसे यौन-उत्तेजना भरे गीत।

ये दोनों ही तरह के गीत सत्तर के दशक के मध्यवर्गीय दर्शकों के गले नहीं उतर पाए। संगीतकार जयदेव ‘मुझे जीने दो’ या ‘हम दोनों’ वाला जादू जगाने में असफल रहे थे।

लेकिन इन कमियों या दोषों के बावजूद ‘रेशमा और शेरा’ को भारतीय सिनेमा में एक मील के पत्थर के रूप में देखा जा सकता है-राज कपूर की ‘मेरा नाम जोकर’ की ही तरह। फिल्म के कई दृश्य बहुत उत्कृष्ट और अविस्मरणीय बन पड़े थे।

राखी और अमिताभ बच्चन के दृश्य ही नहीं, बल्कि सुनील दत्त और उनके पिता की भूमिका निभा रहे जयंत के बीच के दृश्य भी। ‘शोले’ से कई वर्ष पहले ही जयंत ने प्रमाणित कर दिया था कि वे रिश्ते में गब्बर सिंह के (यानी अमजद खान के) बाप लगते हैं।

अमिताभ बच्चन स्पेशल

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